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  • पहल - 125

    कवि एक ही भाषा में / बात करता है / बच्चे से /

    घुसपैठिये से / धर्मगुरु से / राजनीतिक से / पुलिस वालों से /

    बच्चा मुस्कुराता है / घुसपैठिये को लगता है / उसका मखौल

    बना रहा है / राजनीतिक अपमानित अनुभव करता है / धर्मगुरु को

    खतरा महसूस होता है / पुलिस वाला / कमर कसने लगता है /

    शर्मिंदा कवि / क्षमा मांगता है / और अपनी गलती/दुहराता है /

    - तदेऊष रुचिविच

    विख्यात पोलिश कवि

     

  • पहल परिचय

    "पहल का प्रकाशन मुख्य रूप से लेखकों - बुद्धिजीविओं के लिए नहीं बल्कि पाठकों की उस बड़ी संख्या के लिए हुआ है जो एक खास तरह की भूमिका के लिए तैयार होने को है। हमारा उद्येश्य क्रन्तिकारी चेतना की व्यापक शिक्षा का है ." इस सुस्पष्ट लक्ष्य के साथ पहले - पहल "पहल" का प्रकाशन 1973 के उत्तरार्ध में हुआ। जो बहुत जल्द ही अग्रिम पंक्ति की पत्रिका बन गई। लगभग चार दशकों से हिंदी साहित्य की साहित्यिक पत्रिकाओं के संसार में "पहल" का नाम महत्वपूर्ण बना हुआ है। इस लम्बे यात्रा काल में "पहल" ने अपने इतिहास में कई अनुभव दर्ज किये। प्रारंभिक दौर में ही इसके तीखे तेवरों से तिलमिलाकर "पहल" पर चौतरफा हमले किये गए, यहाँ तक की इस पर प्रतिबन्ध लगाने और संपादक को गिरफ्तार करने की मांग भी की गई। तत्कालीन नवोदित लेखकों, बुद्धिजीविओं और लघुपत्रिकाओं का इसे निर्बाध लिखित समर्थन मिलता रहा। इतिहास का निर्णय आज सामने है। Read More...

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