सनी लियोनी

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    अगस्त : 2019
श्रेणी सनी लियोनी
संस्करण अगस्त : 2019
लेखक का नाम रवि बुले





कहानी-दो

 

 

सिल्वर स्पॉट को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में दो विंग थीं। जिनमें एक-एक दर्जन फ्लैट थे। लगभग हर घर में नन्हे-मुन्ने या किशोरवय बच्चे थे। सब मिल कर खेलते। लड़ते-झगड़ते। रूठते-रोते। शरारतें-शिकायतें करते। अंत में एक हो जाते। सोसायटी के लोग पढ़े-लिखे समझदार थे। बच्चों की वाजिब शिकायतों पर ही ध्यान देते। जिससे आपसी संबंध मधुर बने रहते। मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी में छोटी-छोटी बातों के लिए वक्त नहीं था। ज्यादातर लोग सुबह जाते। देर रात लौटते। वीकेंड परिवार के साथ मनाते। महीने के दूसरे रविवार को जरूर नियमित रूप से सोसायटी के कॉमन रूम में मर्दों का जमावड़ा होता, जिसका नाम मंथली मीटिंग था। कोई काम की बात हुई तो ठीक वर्ना दो-एक घंटे गप्पें लड़ाते। इस बार भी सब सामान्य चल रहा था कि अचानक माहौल गर्मा गया।

बातों-बातों में बी-3 के आलोक चटर्जी ने ए-4 वाले आर. प्रभाकर से कहा, 'अपना छोटा बच्चा लोग बड़ा हो रहा है...  आप ध्यान दे रहे हैं कि नहीं?’

'बिल्कुल देखता हूं सबको... बड़े तो हो ही रहे हैं,’ प्रभाकर बोला।

'बड़ा मतलब... बच्चा लोग आजकल सनी लियोनी पर डिस्कशन कर रहा है। मालोम...?’ चटर्जी की बात से सबके कान खड़े हो गए।

पोर्न स्टार सनी लियोनी!!

'क्या...’ सबके मुंह से जैसे एक साथ निकला। सब हैरत से चटर्जी को देखने लगे।

चटर्जी के आठ और पांच साल के दो बेटे थे। बिमल और श्यामल।

चटर्जी ने कहा, 'हमने खुद अपने दूनो बच्चों से बात की है। कल कमरा में खेल रहे थे कि तभी बड़का बिमल छुटके श्यामल से बोला के सनी लियोनी आ रही है, तुझको पकड़ के ले जाएगी। सुनते ही श्यामल रोने लगा। रोते-रोते बड़का भाई से बोला तू करले उससे शादी!’

सबकी हंसी छूट गई। चटर्जी बोला, 'हंस रहे हैं! ये सुनकर हमको करंट लगा था। सनी का इनको कहां से पता चला? हमने दोनों को बुलाया और पूछा कि क्या बात कर रहे हैं आप लोग, तो बड़का बोला बाबा ये चड्ढी नहीं पहनता है ना तो इसको सनी लियोनी पकड़ के ले जाएगी... सुनते ही, छोटका और जोर से रोने लगा।’

अब सब चटर्जी को और ध्यान से सुनने लगे। वह बोलता रहा, 'हमने पूछा कौन है ये सनी... तो बड़का बोला हमको पता है... आप जानते हैं कि वो कितनी गंदी है! आप हमसे झूठे ही पूछ रहे हैं। सुन कर तो हम सन्न रह गए... हमको काटो तो खून नहीं वाला हालत हो गया। पर हमने खुद पर कंट्रोल करके दोनों से कहा कि ये सब फालतू बात करने का उमर नहीं है आपका। जाके खेलिए।’

चटर्जी चुप हुआ तो सोसायटी के चीफ सेक्रेटरी अमित नायक ने गंभीर मुद्रा में कहा, 'तभी मैं सोचूं कि आजकल बगीचे में जब बच्चों के पास से गुजरो तो सब एकदम चुप होकर दम साधे क्यों बैठ जाते हैं। आठ-दस दिन से वॉच कर रहा हूं। पहले ऐसा नहीं होता था। आप उनसे कुछ कहो, तब भी सब अपनी बातों में लगे रहते थे। कौन आ-जा रहा उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता था।’

गोविंद वर्मा के स्वर में थोड़ी परेशानी झलकी, 'मैंने भी घर में दो-तीन बार अपने बेटों को खुसुरफुसुर करके हंसते देखा है। मैं सोच ही रहा था कि कुछ गड़बड़ है...!’ वर्मा के बेटे 13 और 15 साल के थे।

सब एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे। चंद्रकांत गर्ग ने थोड़ा ताव खाते हुए कहा, 'सोसायटी के गेट के बाहर जो खोमचे वाला खड़ा होता है इसको हटाना पड़ेगा। शाम को यहां-वहां के आवारा छोरे उसके पास खड़े हो जाते हैं और हा-हा-ही-ही करते रहते हैं। क्या बातें करके जोर-जोर से हंसते होंगे? हमारे बच्चों से भी उनको मैंने बात करते देखा है। कुछ छोटे बच्चे तो मोबाइल गेम खेलने के लालच में उनके पास देर तक खड़े रहते हैं। हो न हो वहीं किसी ने बकवास की होगी...’

'बाहरवालों को क्यों दोष देना भाई साहब... हमारे लड़के-लड़कियां भी गार्डन में घंटों बैठते हैं, हंसी-ठिठोली करते हैं... हम उन पर तो भरोसा करते हैं... और क्यों न करें?’ कमल कुमार ने तर्क किया। तब जुड़वां किशोरों का पिता रमेश सक्सेना बोला, 'राजू और दीपू पर मैं कड़ी नजर रखता हूं। हाईस्कूल में हैं लेकिन अचानक पहुंच जाता हूं देखने। कल पिकनिक था, मैं खुद गया छोडऩे-लेने। आज तो कब कहां ये बच्चे हाथ से निकल जाएं कह नहीं सकते। इसलिए कड़ा कंट्रोल जरूरी है।’ देसाई, शुक्ला, गुप्ता, भाटिया, प्रसाद, मिश्र, सिन्हा, जोशी, सिंह, गुलाटी, चतुर्वेदी, गोखले वगैरह सबकी अपनी-अपनी राय और चिंताएं थीं। सबके मन में हलचल थी। वे दिन भर बाहर रहते थे। कुछ की बीवियां भी वर्किंग थीं। पीठ-पीछे बच्चों से कहीं कुछ उल्टा-सुल्टा हो गया तो क्या होगा? बच्चे तो बच्चे हैं! उम्र के अलग-अलग मोड़ पर उनकी अपनी-अपनी समस्याएं, सीमाएं और खतरे हैं। लेकिन फिलहाल सबको बच्चों के लिए एक ही खतरा दिख रहा था, सनी लियोनी!

जब से भारत में आई है, हर साल अखबारों में छपता है कि गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की जाती है। फिल्मों में आती है। पत्रिकाओं में छपती है। टीवी पर कंडोम के विज्ञापन में घर-घर दिखती है। किसने उसके बारे में बातें नहीं की? उसकी न्यूड तस्वीरें नहीं देखी? उसके पोर्न वीडियो नहीं देखे? ऐसे ही थोड़े सबसे ज्यादा सर्च होती है!! सबको पता है वह कौन है, कैसी है। मगर छोटे-छोटे बच्चों के होठों पर उसका नाम! यह जानकर बड़ों को सांप सूंघ गया था।

क्या हल है इस समस्या का?

क्या बच्चों से सीधे बात करें? उन्हें समझाएं कि सनी लियोनी के बारे में बातें करना, सोचना अच्छी बात नहीं है!

वैसे बच्चों से बात की तो पूछना पड़ेगा, उन्होंने क्या देखा? क्या सुना? क्या जानते-समझते हैं सनी लियोनी के बारे में? कहीं बच्चों ने पूछ लिया कि सनी लियोनी गंदी क्यों है तो क्या जवाब देंगे? सनी को लेकर क्या उनकी उत्सुकता नहीं बढ़ जाएगी? क्या वे उसके बारे में और ज्यादा जानकारी नहीं ढूंढने लगेंगे? इंटरनेट सबके घर में है। चौबीस घंटे चौकसी कहां रह पाती है? कुछ बच्चों के पास तो स्मार्ट फोन हैं। नेट कनेक्शन समेत। जरा-सा संतुलन बिगड़ा कि बात बर्र के छत्ते पर पत्थर की चोट सरीखी होगी। कहां-कहां सिर बचाएंगे? संकट बड़ा है। कैसे हल निकले?

तमाम उलझाऊ सवालों पर चर्चा के बीच प्रकाश शर्मा ने चिंतित स्वर में चटर्जी से सवाल किया, 'आपके बच्चों ने और भी कुछ तो बताया होगा?’ शर्मा की नौ साल की इकलौती खूबसूरत बेटी थी, ईशा।

चटर्जी ने एक गहरी नजर उस पर डाली और बोला, 'बड़का बिमल से हमने बाद में प्यार से बात किया था और पूछा था कि उसको सनी के बारे में कहां से मालोम हुआ...’

'कहां से...?’ सबने एक साथ पूछा।

चटर्जी की नजरें दिवाकर सिन्हा की तरफ घूम गईं। बोले, 'सिन्हा साब बुरा मत मानिएगा... आपका बेटा संदेश का बात है...।’ सिन्हा का चेहरा उतर गया। सब उसी को देख रहे थे। चटर्जी ने कहा, 'बड़का बिमल हमको बोला कि संदेश ने उसको सनी लियोनी के बारे में बताया।’

सिन्हा ने खुद को संभाले रखा और कहा, 'आप कह लीजिए... मैं सुन रहा हूं।’

चटर्जी बोला, 'संदेश ने बिमल को बताया कि वह आपके साथ एक फैमिली फ्रेंड की बर्थ डे पार्टी में गया था। वहां सबके फोटो खींचे थे। बाद में जब स्कूल में बच्चे मिले तो आपके फ्रेंड का बेटा संदेश से बोला कि सनी लियोनी तेरे बारे में पूछ रही थी। सनी उसके पापा की फेसबुक फ्रेंड है और बर्थडे का फोटो फेसबुक पर देख कर सनी ने संदेश के बारे में पूछा कि ये हैंडसम कौन है...!’

'ये क्या बकवास कर रहे हैं मिस्टर चटर्जी,’ सिन्हा के स्वर में थोड़ी खीझ थी।

'सुनिए तो, आपके फ्रेंड का बेटा संदेश से बोला कि सनी तुझसे शादी करना चाहती है... वोई बच्चा बताया संदेश को कि सनी कौन है और बोला कि वो तेरे से शादी बनाने के लिए तेरे घर आएगी... संदेश डर गया। उसने ये सारा बात बिमल को बताया और कहा कि वो उससे शादी नहीं करना चाहता... हो हो हो...’ चटर्जी ने हंसी को बात में मिला कर माहौल की हल्का करने की कोशिश की। कुछ और चेहरों पर भी मुस्कान आई। सिन्हा के माथे पर बल पड़ गए। वह सोच में पड़ गया। फिर कुछ पल बाद उसके चेहरे का तनाव कम हुआ।

अपने होठों पर मुस्कान लाते हुए सिन्हा ने कहा, 'समझ गया। दस-एक दिन पहले हम लोग मेरे फ्रेंड राकेश दीवान के घर गए थे। वह फिल्म राइटर है। उसकी लिखी एक फिल्म में सनी काम कर चुकी है। नाऊ आई नो कि कैसे ये चेन बनी। मुझको उसे भी अलर्ट करना होगा।’

'कितना बड़ा है उसका बेटा?’ चतुर्वेदी ने पूछा।

'आई थिंक नॉट ईवन इन टीन-एज... नौ-दस का ही होगा। संदेश और वो एक ही क्लास में पढ़ते हैं...’ सिन्हा ने कहा।

गुत्थी सुलझने के बाद सबने राहत की सांस ली। फिर सनी लियोनी पर बात आगे बढ़ी। धीरे-धीरे सब अपना-अपना जनरल नॉलेज बताने लगे। कुछ बढ़-चढ़ कर बोले। कुछ हंसी-ठहाके लगे। कुछ मौज-मजे की बातें हुई। कुछ के मोबाइल में भी सनी की पोर्न क्लिप्स निकलीं। मामला जब इतना आगे बढ़ा तो एक एमएनसी में ठीक-ठाक ओहदे पर काम करने वाले नौजवान प्रकाश चौहान ने अपना अनोखा अनुभव सुनाया। कहा, 'मेरी मुंबई-टू-चंडीगढ़ फ्लाइट थी। लाउंज में बैठा था कि कुछ मिनट में वहां सनी लियोनी आ गई। उसके साथ दो बॉडीगार्ड और दो मैनेजर लड़कियां थीं। वह भी उसी फ्लाइट में जाने वाली थी। वह लाउंज में अपोजिट साइड के सोफे पर लेग्स क्रॉस करके बैठ गई। इसके बाद तो वहां हर कोई उसे देख रहा था... मगर सबसे शॉकिंग यह था कि मेरे बाजू में बैठा एक यंग लड़का अपने मोबाइल पर सनी की पोर्न फिल्म देखने लगा! हद हो गई यार... सामने वह बैठी और ये बंदा मोबाइल पर उसकी फिल्म देख रहा है!! उह... आह... साउंड भी चालू... पब्लिक टूटने लगी ये सीन देखने को कि सामने सनी लियोनी और इधर उसकी पोर्न फिल्म! मगर उसकी डेयरिंग बॉस कि वह ये सब देख-सुनकर भी उठ के अंदर वीआईपी वेटिंग रूम में नहीं गई।’

सुन कर सब हैरान भी हुए और गहरी सांसें ली। लेकिन मस्ती की इन बातों के बीच थियेटर आर्टिस्ट अभिषेक कपूर ने कहा कि सनी लियोनी हमारे समाज में बदलाव की आहट है। वह भारत में हो रही सेक्स क्रांति का हिस्सा है। सेक्स अब बंद दरवाजे की चीज नहीं है। सेक्स को लोग खुलेपन से एक्सेप्ट कर रहे हैं। सेक्स लाइफ में एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। कपूर के पड़ोसी राज अस्थाना ने इस बात पर मुहर लगाते हुए कहा, 'सुबह ही टाइम्स में आर्टिकल पढ़ रहा था कि आजकल नए शादीशुदा जोड़े 'बेडरूम एलबम’ बनवा रहे हैं। फीफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे और ग्रेट गेट्सबाई की थीम पर।’ कपूर ने कहा कि आप मानें या ना मानें सनी 'गर्ल-पावर आइकन’ जैसी बन गई है। अविनाश पंडित चुटकी लेने वाले अंदाज में बोला, 'हां भई, सनी तो सेक्स एजुकेशन टीचर है! आप चुंबन, कामसूत्र, खजुराहो से डरते हैं और आपके देखते-दिखाते वह बच्चों को सब सिखा रही है।’

गंभीर सिंह को सेक्स एजुकेशन से याद आया, 'मेरा बेटा तीसरी क्लास में है और उसकी किताब में 'रीप्रोडक्शन’ पर चैप्टर है... भले ही इसमें प्लांट्स की बातें हैं मगर हमने तो पहली बार यह शब्द दसवीं में सुना था!’

बातों का रुख बदलने लगा तो सोसायटी के चेयरमैन अखिलेश गुलाटी ने हस्तक्षेप किया, 'भाई, मुद्दे की बात पर आएं कि क्या करना है? दोपहर हो रही है। क्या बच्चों से इस इश्यु पर बात करनी है?’

शर्मा ने कहा, 'सिर्फ नजर रखिए अपने-अपने बच्चों पर। क्या बात करेंगे उनसे सनी लियोनी पर! बच्चों को यह न पता चले कि हमने उन्हें लेकर इन बातों को डिस्कस किया है। बेकार ही अलर्ट हो जाएंगे।’

गोखले ने कहा, 'एक्सट्रा अलर्ट तो अब हमें रहना होगा।’

सब इस बात से सहमत थे कि बात यहीं छोड़ दें। बच्चों से चर्चा करके कोई फायदा नहीं। जिस लेवल की बात हैं, वह बहुत गहराई तक नहीं गई होगी। बढ़ती उम्र में ऐसी कच्ची-पक्की चर्चाएं इशारे-इशारों में हो जाती हैं। बच्चे खुद असमंजस में रहते हैं। बात नहीं बढ़ाते। घर में थोड़े बहुत सवाल करते हैं। मगर संतुलित जवाब दो तो वे फिर अपनी दुनिया में रम जाते हैं। उनकी दुनिया पल-पल बदलती है। यूं ही थोड़े कहा गया है कि बच्चे मन के सच्चे। सनी लियोनी की बात आई तो उन्हें कुछ अलग-सी लगी। सो, उत्सुक हो गए। ज्यादा कुरेदा तो हो सकता है कि खोजबीन करने में लग जाएं। यह खतरनाक होगा। बेहतर है कि मां-बाप थोड़े-से सचेत रहें और उनकी बातों में सनी लियोनी का जिक्र आए तो टाल-टूल करके बात मोड़ दें। कोई नया कौतुक सामने रख दें। जो बातें नन्हें-मुन्नों को तेजी से आकर्षित करती हैं, उतनी ही जल्दी वे उसे बेमतलब बना देते हैं। अत: सबसे अच्छा यही है कि इस मामले में बच्चों से कोई बात ना की जाए। सनी लियोनी का नाम भी उनके आगे न लिया जाए।

सर्वसम्मति से जब यह तय हो गया तो सारे लोग एक-एक कर कॉमन रूम से बाहर निकले। सनी लियोनी की बातों ने कुछ अलग-सी स्फूर्ती ला दी थी। वे इधर-उधर देख रहे थे कि अब चला जाए, अपने-अपने घर। तभी सोसायटी के गार्डन के किनारे से शोर उठा। सबका ध्यान उधर गया। कोने में बने बड़े हौद को घेर कर सारे बच्चे उस पर झुके थे। कई महीनों से यह हौद सूखा पड़ा था।

'क्या हो रहा है...?’ गुप्ता ने कहा।

सब एक साथ उस तरफ बढ़ गए।

बच्चे सजग हो गए और बड़ों को आता देखने लगे। सब लोग हौद के किनारे पहुंचे तो देखा कि गुलाटी का चार साल का बेटा रंजन हौद में उतर कर कोने में दुबका रो रहा है। उसके बदन पर सिर्फ मैली टी-शर्ट है। गुलाटी हैरान होकर सीढिय़ों से हौद में उतरा और रंजन को गोद में उठा कर ले आया। सब बच्चे खामोश थे।

सवाल हुआ कि रंजन क्यों वहां उतर कर रो रहा था... क्या हुआ...?

बच्चे चुपचाप एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे। कोई जवाब नहीं दे रहा था। सवाल दोहराया गया और बच्चों की तरफ से चुप्पी ही जवाब में आई। तब चटर्जी ने नन्हें श्यामल की बांह पकड़ी और पूछा, 'क्यों रे छोटका क्या हुआ? रंजन बबुआ क्यों रो रहा है...?’

पांच बरस के नन्हें श्यामल ने एक नजर सारे बच्चों पर डाली और संदेश पर रुक गया। बोला, 'बाबा... संदेश रंजन को डरा रहा था कि तू चड्ढी नहीं पहनेगा ना तो सनी लियोनी आएगी और तेरा नुन्नू मुंह में डालकर खा जाएगी।’

इतना सुनते ही बड़ों के चेहरे फक पड़ गए।

उन्हें एहसास हो गया कि सनी लियोनी की बात उनके हाथ से निकल चुकी है।

 

संपर्क- मो. 9594972277, मुम्बई

 

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