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अप्रैल २०१३

कवियों के रक्षार्थ/मेरा अद्भुत कलम/मेरे पिता का आगमन/सूक्ति

नील्स हैव, अनुवाद - नरेन्द्र जैन

कोपेन हैगन में रह रहे नील्स हैव पूरावक्ती कवि-कथाकार हैं। स्पानी, चीनी, तुर्की, डच और अरबी में कविताओं के अनुवाद

 

 कवियों के रक्षार्थ

कवियों के लिये हम क्या करें?
ज़िंदगी उन पर भारी पड़ती जाती है
अपनी काली पोषाखों में आते नज़र दया के पात्र
आंतरिक झंझावातों से बेतरह नीली पड़ती जाती उनकी त्वचा

कविता एक भयावह रोग है
रोगग्रस्त कवि करते हैं शिकायत
मस्तिष्क के परमाणु संयत्र से रिसकर बाहर आतीं
उनकी चीखें
करती हैं वातावरण को दूषित

कविता मनोविकृति है
कविता निरंकुश है
वह रातों को जगाये रखती लोगों को
और शादी ब्याहों को करती है नष्ट
सर्दियों के मध्य वह खदेड़ती कवियों को
उजाड़ ठिकानों की जानिब
जहाँ तकलीफज़दा बैठे होते हैं वे
मफलर लपेटे हुए
ज़रा देखें कैसी यातना है?

कविता एक महामारी है
सूजाक से भयावह
एक भीषण जुगुप्सा
लेकिन सोचें कवियों पर कितनी भारी हैं वे
उन्हें बर्दाश्त करें
वे होते हैं इतने उन्मत्त
गोया दे रहे हों जन्म जुड़वा बच्चों को
सोते वक्त किटकिटाते हैं वे दांत
फांकते हैं धूल और खाते घास
घंटों सिर धुनती हवा में
बाहर ही भटकते हैं वे
होते हुए गमज़दा विस्मयकारी रूपकों से

हर दिन कवियों के लिये होता है
एक पवित्र दिन

ओह, कृपया कवियों के प्रति दया बनाये रखें
वे बहरे और अंधे होते हैं
करें उनकी मदद यातायात के दौरान
जहाँ हर तरह की चीज़ों के करते याद
अपनी आंतरिक अक्षमताओं को लिये
वे लडख़ड़ाते रहते हैं

अब और तब उनमें से कोई कवि
ठिठकता है और सुनता है दूर से आती
सायरन की आवाज़ें
उनके प्रति रखें सौजन्य
कवि हुआ करते हैं उन विक्षिप्त बच्चों की तरह
जो समूचे परिवार द्वारा खदेड़ दिये जाते बाहर
उनके लिये करें प्रार्थना
वे दुखीं ही पैदा होते हैं
उनकी मांएं रोती ही रहती हैं उनके लिये
उनके लिये मदद लें चिकित्सकों और वकीलों से
ताकि हो सकें वे मुक्त
अपने मस्तिष्कों को खो देने के भय से

ओह, कवियों के लिये करें विलाप!
कोई चीज बचा नहीं सकती उन्हें
गुप्त कोढिय़ों की तरह कविता से ग्रस्त
वे फंतासियों की अपनी दुनिया में रहे आते हैं बंदी
शैतानों से भरी एक भीषण रिहाईश
और प्रतिशोध लेते भूत

ग्रीष्म के किसी साफ सुथरे दिन
जब सूर्य चमक रहा होता है
तुम देखते हो बेचारे कवि को
लडख़ड़ाते आते बाहर घर से
शव की तरह जर्द चेहरा लिये
आशंकाओं से होते बदशक्ल
तब जाओ और कवि की मदद करो
उसके जूते के बंद बांध दो
उसे किसी पार्क में ले जाकर
बेंच पर बिठला दो उसे धूप में
उसके लिये कुछ गाकर सुनाओ
उसे खाने के लिये आइसिक्रीम दो
और सुनाओ कोई कहानी
क्योंकि कवि बेहद उदास है

क्योंकि कवि कविता से हो चुका है
पूरी तरह बरबाद
* * *

मेरा अद्भुत कलम

गली में पड़े मिले किसी कलम से लिखना
मुझे अच्छा लगता है
या प्रचार में भेंट किये गये कलम से
जो बाखुशी मेरे किसी विद्युतकर्मी
या पेट्रोल पम्प या बैंक द्वारा दिया जाता है
इसलिये नहीं कि
वे कलम मुफ्त के होते हैं याकि
सस्ते होते हैं
बल्कि मैं कल्पना करता हूं कि
इस तरह के कलम भर देंगे मेरे लेखन को
गतिविधियों से
कुशल श्रमिकों, दफ्तरों और काम$गारों का
पसीना और वजूद के रहस्य

एक बार मैंने एक कलम से लिखीं
सधी हुई कविताएं
एकदम विशुद्ध कविता
जो थीं विशुद्ध कुछ भी नहीं के बारे में
लेकिन अब मुझे अपने काग़ज़ों पर
विष्ठा, आंसू और गंदगी पसंद है

कविता जनखों के लिये नहीं होती
एक कविता इतनी ही ईमानदार हो
जितना डाऊ जोन्स इंडेक्स
यथार्थ और झूठ का एक घालमेल
कोई क्यों हुआ जाता संवेदनशील?
ज़्यादा नहीं

इसीलिये रखता हूं मैं नज़र
शेयर बाज़ार और काग़ज़ के गंभीर टुकड़ों की तरफ
स्टॉक एक्सचेंज कविता की तरह यथार्थ का मामला है
इसलिये मैं बैंक द्वारा भेंट किये गये
इस कलम के लिये बेहद खुश हूं
जो एक अंधियारी रात
किराने की बंद दुकान के सामने पड़ा मिला
इस कलम से कुत्ते के पेशाब की गंध आती है
और यह कलम
अद्भुत ढंग से लिखता है
* * *

मेरे पिता का आगमन

मेरे मृत पिता आते हैं मिलने के लिये
और, जो कुर्सी मैंने
उनके लिये खरीदी थी
उस पर आकर बैठ जाते हैं
'और, नेल्स, ठीकठाक है', वे कहते हैं
वे भूरे और मज़बूत हैं
काले रोगन की तरह चमकते हैं उनके बाल

एक बार हाथ में सब्बल लिये
लोगों की कब्रों को खोद दिया था उन्होंने
और मैंने की थी उनकी मदद
अब उन्होंने खुद की कब्र खोद डाली है

'और क्या चल रहा है?' वे कहते हैं
मैं उन्हें बतलाता हूं सब कुछ
मेरी योजनाएं और तमाम
असफल कोशिशों के बारे में
मेरे सूचनापटल पर लटके हैं सत्रह देयक
'इन्हें फेंक दो' पिता कहते हैं
वे दोबारा आ जायेंगे
वे हंसते हैं' बरसों तक मैं अपने प्रति
बेहद सख्त रहा
मैं पड़ा रहता हूं जागते हुए
एक बेहतर शख्स बनने का ख्याल लिये
यही महत्वपूर्ण है
मैं पिता को एक सिगरेट पेश करता हूं
लेकिन अब उन्होंने छोड़ दिया है सिगरेट पीना

बाह सूरज डूबता है
आग और चिमनियों से उठता है धुआँ
कूड़ा बीनने वाले मचाते हुए शोर
एक दूसरे को ललकारते हैं सड़क पर
मेरे पिता उठते हैं
खिड़की तक जाते हैं
और डालते हैं नज़र
कूड़ा बीनने वालों पर
'वे व्यस्त हैं' पिता कहते हैं
'यही अच्छा' है. कुछ करो'
* * *

सूक्ति

तुम एक पूरा जीवन
बिता सकते हो शब्दों की संगत में
कोई एक सही शब्द हासिल किये बगैर

ठीक वैसे ही जैसे कि
हंगारी अखबार में लिपटी एक
बदनसीब मछली
किसी एक के लिये वह मृतप्राय:
किसी दूसरे के लिये वह ऐसी
जो हंगारी नहीं समझती
* * *


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