चंदन पांडे की उम्र तीस वर्ष है। उ.प्र. के देवरिया में जन्म। 'पहल' में पूर्व प्रकाशित। नये कहानीकारों में अग्रणी। कहानियों का एक संग्रह 'भूलना' प्रकाशित। इन दिनों बेंगलुह में हैं।
घोषणा : रिश्वत की डायरी के गायब पृष्ठों के बारे में यह डिस्क्लेमर लिखते हुए मुझे ऐसी हँसी छूट रही है कि क्या बताऊँ, पर लिखना तो पड़ेगा, आखिर जान किसे प्यारी नहीं होती। तो कहता हूँ कि इस कथा में एक एक शब्द गल्प है। इसका किसी भारतीय से न लेना एक न देना दो है। किसी के जीवन से इस कथा का हिस्सा मेल खाए तो अपनी हँसी रोकते हुए बता रहा हूँ कि यह अपवाद नहीं, महज संयोग होगा। अद्भुत संयोग। ठाकुर प्रसाद प्रकाशन की डायरी के कुछ जले हुए पृष्ठ है जो तुरंत बीते वर्तमान के सुनहले कूड़ेदान में मिला।
पृष्ठ संख्या - 1 नौ अगस्त 2010
थाने का विक्रय मूल्य, क्रय मूल्य, लाभ तथा प्रतिशत लाभ का हिसाब किताब: जिला : क. थानों की संख्या : 20
क्रम थाने से सालाना थानों की आय विवरण रिश्वती आय बढ़ाने के संख्या आय सीमा संख्या और लिए जिन क्षेत्रों में उनके नाम मेहनत करनी है 1 20 लाख तथा 7 थाने : ट्रक और ट्रांसपोर्ट चुस्त दरोगा की नियुक्ति उससे कम ख,य,र,ल, कमीशन, फेरी तथा आय सीमा लक्ष्य ह,क्ष,क वाले, रेहड़ तथा बढ़ाकर पचास लाख दुकान वाले करना 2 20 से 50 लाख 8 थाने : ज रेत खनन कमीशन फुटकर व्यापारियों पर च,झ,ण,त्र, तथा उन्हें सुरक्षित तलवार कस कर ग,घ,झ थाना क्षेत्र से बाहर रखनी है पहुंचाने का कमीशन 3 50 लाख से 2 थाने, म कोलियरी ठेके कमीशन बढ़ाना है। तथा 70 लाख और फ और कोयला जहाँ एक बार के लिए ढुलाई से तथा जारी रसीद पर कोयले अन्य कार्यॅ बीस बार ढोए जा रहे थे उन्हें घटा कर दस करना है 4 70 लाख तथा 3 थाने क, वनवासी सुरक्षा मुठभेड़ फंड से अलग, उससे ऊपर प, ब फंड, आतंक अब उन अपराधियों के निरोधी फंड से, घर से भी पैसे लेने होंगे मुठभेड़ फंड से जो पाँच से सात लाख के बीच कहीं ठहरती है। फिर इन थानों की आय एक करोड़ हो जायेगी और इस तरह हम आदर्श थाना निर्माण की तरफ अग्रसर होंगे
इस वर्ष थानों से जिले की आय का लक्ष्य सौ करोड़ का है और सभी थानों के लिए नारा रहेगा - लक्ष्य शतक। लक्ष्य पूरा होने पर बजरंग बली की मूर्ति स्थापना तथा भव्य मन्दिर का निर्माण।
पृष्ठ संख्या - 2 नौ अगस्त, 2010 (** टका से यहाँ तात्पर्य हजार का है)
- जय माँ जगदम्बे काली -
दिया (debit ) लिया (credit) साहब के बंगले का टेलिफोन बिल-24 भिखारियों से : 20 टका (इनमें से कईयों टका (जून और जुलाई महीने का), को तड़ीपार करना है, इन्हें भीख कम सिपाही का फोन कल ही आया था। मिलने लगी है, कल एक हवलदार को जाँच के लिए भेजना है कि जिन 10 बच्चों को बाहर से मँगाया था, उनमें से कितने भीख माँगने के काबिल हो गए हैं)
मैडम (साहब की पत्नी) की खरीददारी फुटपाथी व्यापारियों से : 100 टका, नए के लिए मुंशी भेजा - 25 टका। 10 फुटपाथियों ने चोखा धन्धा दिया है। टका कम पड़ा सो उधार लगा दिया। सामान की भूखी है, साली।
35 टका (10 टका होटेल और 25 टका यातायात से: 200 टका, कल से फी ट्रक- राजधानी) भिजवाया। चीफ साहब ठहरे 40 रुपए, रोज, बस से 40 रुपए रोज, थे, राजधानी से आई लड़की के लिए 25 ऑटो रिक्शा-20 रुपए रोज टका और हवाई यात्रा का खर्च
60 टके की कालीन, चीफ साहब को 100 टका, रामपुर रेप केस। पसन्द आई। पैक कराया। कालीन पैसे के साथ लड़की भी, दो दिन थाने में व्यवसायी को लाईन पर लेना है। कैश रखेंगे। माँग रहा था, कल से एक हवलदार उसके पीछे।
6000 टका, बेटे का प्रवेश एम.डी. 50 टका, बाईक और कार चोरों से, आज (मास्टर ऑफ मेडिसीन) कोर्स के लिए एक इंडिका और स्पेलन्डर बाहर गई, वो सरकारी कॉलेज में हो ही गया। देश की कल पेमेंट देंगे। शिक्षा व्यवस्था कैसी रिश्वतखोर हो गई है। रिश्वत हम भी लेते हैं भाई पर ऐसे किसी का खून नहीं चूसते। साठ लाख! बेटा भी चिकित्सा से अधिक विवाह ही पढ़ रहा है। एम.डी. कर ले तो जो जमीन राजधानी में कब्जा कर रखी है उस पर एक बढिय़ा अस्पताल खोल दिया जाए। 200 टका; कोयला परमिट के नाम 2 टका; सब्जी बेचने वालियों से 30 टका; जंगल विभाग से, बहुत उड़ रहे थे रेंजर साहब, कतर दिया, ट्रक पकड़ा और साले को पैसा लेकर थाने बुलाया, इंतज़ार कराया, अब बेटी की ब्याह में होने वाले लकड़ी खर्च के लिए तैयार हो गया है। दो सिल्ली शेखू, दो सिल्ली सागौन और एक शीशम
कुल लागत : 8 लाख कुल खर्च : 2.5 लाख बचत : 5.5 लाख, और काहे की बचत? साठ लाख तो बेटे की फीस और डोनेशन ही दे दी। उसे 'रिकवर' करने के लिए एक गाँव, दस बीघे जंगल और दो ट्रक पकडऩे की योजना कल से लागू। सोने से पहले माँ जगदम्बे को प्रणाम, अगर कल कोई ट्रक, जंगल और गाँव रगडऩे दिया तो उनके मन्दिर के दरवाजे पर नए कुण्डे लगवाने का संकल्प लेता हूँ।
।। जै जगदम्बे ।।
पृष्ठ संख्या 3 9 अगस्त 2010 चिकित्सा शास्त्र (परास्नातक) परीक्षा मंडला (चिव्यापम) से हुए आय व्यय का ब्यौरा एम.डी. कुल सीट : 25 परीक्षा से पास होकर प्रवेश पाने वालों की संख्या सिर्फ पाँच कर दी गई है। यह मंत्री बहादुर है पिछला तो ऐसा लीचड़ था कि खाने खिलाने के नाम पर बस पाँच ही सीट छोड़े रहा। सौदे के लिए उपलब्ध सीट : 20 प्रति सीट आमदनी : 60 लाख प्रति सीट बचत : 6 लाख राशि बँटवारे का ब्यौरा
बँटवारा (60 लाख प्रति मद/वजह उम्मीदवार से हुए लाभ का बँटवारा) 10 प्रतिशत (6 लाख) सरैयाँ बाबा के माँ अम्बे ट्रस्ट, वहाँ से जारी पाप निवारक दस्तावेज की पाँच नकल तैयार। मूल प्रति मानव संसाधन विकास मंत्री के दरवाजे। माँ के आशिर्वाद से आज तक हमारे समूह के किसी कार्य में विघ्न बाधा नहीं आई। हम अपनी तनख्वाह से अलग सभी आमदनी का दस फीसदी माँ के चरणों चढ़ाकर उन्हें भी पार्टनर बनाते हैं। जगदम्बा देवी के सामूहिक पार्टनरशिप के अलावा :- * मंत्री सोने का कपाट दान करेंगे * मुख्य सचिव राजधानी से मन्दिर तक नंगे पाँव रोज जाएंगे और कार से वापस आयेंगे * मैं मन्दिर जाया करूँगा और दुर्गा चालीसा का पाठ करूँगा। 55 प्रतिशत (33 लाख) मंत्री जी के रिश्तेदार के चाची के ताया के बेटे की बेटी के तथा बीच बीच में छात्राएं बैंक खाते में। पासबुक मंत्री जी के भाई की निगरानी में। ** लड़कियों पर शर्तें अगर कॉलेज से बाहर की लड़की आई जाए तो तीस से लागू चालीस हजार प्रति रात्रि। वैसे मंत्री या मुख्य सचिव ज्यादातर कॉलेज की ही लड़कियों को प्राथमिकता देते हैं। 5 प्रतिशित (3 लाख) दलाल को। इन्हें परीक्षा फॉर्म से लेकर फोन नम्बर दे दिए थे। इन सबको साफ निर्देश है कि सिर्फ बड़े ऊंचे अधिकारियों के बच्चों को ही टार्गेट करें जो डिग्री लेने के इच्छुक हों। जो ग्राहक साठ लाख देने को तैयार हो जाए,उसे ही सचिव से मिलवाएँ। ग्राहक के आने जाने का खर्च ग्राहक को ही उठाना होगा। महिला उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। 20 प्रतिशत (12 लाख) सचिव तथा अन्य अधिकारियों के बीच पैसे से अलग रहा लड़कियों का सवाल तो उसका बँटवारा - जैसा ऊपर बताया 10 प्रतिशत (6 लाख) अब अपनी तारीफ किस मुँह से करूँ? नजर न लगे।
पृष्ठ संख्या - 4 नौ अगस्त 2010 चिकित्सा महाविद्यालयों में शिक्षा तथा परीक्षा प्रणाली
शिक्षकों से : * उन प्रोफेसरान से भी दस प्रतिशत लेना है, जो शोधार्थियों के जे.आर.एफ. सम्बन्धित
बिल और कंटिंजेसी बिल साईन करने के एवज में कुल बिल राशि का पन्द्रह फीसदी पहले
ही जमा करा लेने के बाद अपने स्वर्णिम हस्ताक्षर करते हैं। * सेमिनार आदि का बिल पास करने से पहले पच्चीस प्रतिशत नकद।
छात्रों के लिए, प्रथम श्रेणी पाना चाहते हों तो कृपया निम्नलिखित शर्तों का ध्यान धरें।
* उपस्थिति : 95 प्र.श. उपस्थिति अनिवार्य - इससे कम की स्थिति में 2000 रुपए प्रति कक्षा * लिखित परीक्षा : यह परीक्षा मेधावी विद्यार्थियों के लिए भी कठिन होती है,
फिर तो जिस तरीके से भतेरे उम्मीदवारों का प्रवेश हुआ होता है
वैसे छात्रों के लिए यह परीक्षा अत्यंत कठिन होती है। यह कॉपी जाँच के लिए बाहर जाती है
इसलिए पढ़ के पास होना होगा या फिर दो लाख रुपए प्रति पेपर। * प्रायोगिक परीक्षा : 50000 प्रति पेपर या अगर बाहर से आए परीक्षक को आप पसन्द हों,
जो कि भारत में कम कम ही सम्भव है पर कभी कभी हो जाता है। * डिग्री : अब कितना दोगे सरजी पर जो भी आपकी इच्छा हो वैसे यह राशि क्लर्क समुदाय को जायेगी।
छात्राओं के लिए : प्रथम श्रेणी पाना चाहते हों तो कृपा निम्नलिखित शर्तों का ध्यान धरें। (यहाँ अक्षरों की आग और आँच से डायरी का पन्ना जलने लगता है और उससे चमड़े के जलने की दुर्गन्ध फैल जाती है) * उपस्थिति : 95 प्र.श. उपस्थिति अनिवार्य - इससे कम की स्थिति में हरेक पेपर के लेक्चरर
पर निर्भर करता है। अमूमन 2000 रुपये प्रति कक्षा। * लिखित परीक्षा : यह परीक्षा मेधावी विद्यार्थियों के लिए भी कठिन होती है, फिर तो जिस तरीके से
भतेरे उम्मीदवारों का प्रवेश हुआ होता है वैसे छात्रों के लिए
यह परीक्षा अत्यंत कठिन होती है। यह कॉपी जाँच के लिए बाहर जाती है
इसलिए पढ़ के पास होना होगा या कुछ सीढिय़ाँ चढ़कर।
मुख्य परीक्षा अधिकारी, श्रीमान क. दलाल, इसके रिकॉड्र्स रखते हैं। * प्रायोगिक परीक्षा : 50000 प्रति पेपर या अगर बाहर से आए परीक्षक को आप पसन्द हों।
अथवा मुख्य परीक्षा अधिकारी तथा अनुयायियों के साथ या फिर मंत्री या सचिव
या तमाम जिन्हें हो सकता है, आप जानती भी न हों। * इससे अलग अगर आप मंत्री या उसके घेरे के किसी को पसन्द आ गईं
तब विरोध के लिए भी कृपया शान्ति बनायें रखें। रणक्षेत्र में ही न्याय होगा।
उपनियम 1, 2 और 3 : 1. रीएँ नहीं, भाग सकती हैं तो भाग जाएँ। 2. चूँकि स्नातकोत्तर की शिक्षा के दौरान गर्भधारण अव्यवहारिक माना जाता है
इसलिए निरोग सुरक्षा के इंतजामात खुद करें। 3. कोशिश करें कि उपस्थिति रजिस्टर पूरा रहे, कोशिश करें कि आप प्रथम श्रेणी की लालच में न फँसें,
आगे जीवन में आपको मरीज मिलेंगे, डिग्री पूछने वाले अधिकारी नहीं, आपके लालच न करने के कारण
वहाँ की फैकल्टी आपका जीना दूभर कर देगी पर यह भी तो सोचिए कि इतने सब नरक के बाद जीवन
तो यों भी दूभर हो जाएगा।
पृष्ठ संख्या 5 नौ अगस्त 2010 उस शख्स का रोजनामचा, जिसका प्रवेश मेरिट के अनुसार तय था अगर काबिलियत से प्रवेश दिलाने वाली सीट्स की संख्या बीस से घटा कर पाँच न की गई होती।
नाम - सुनयना, उम्र - तेईस शिक्षा - एम.बी.बी.एस. (राज्य द्वारा आयोजित पी.एम.टी. परीक्षा में प्राप्त अच्छे स्थान के कारण राजकीय मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा शास्त्र से स्नातक) काम - माँ जगदम्बे ट्रस्ट के अस्पताल में जूनियर पैथोलॉजिस्ट (जबकि उसने एम.बी.बी.एस कर रखा है) वेतन - साढ़े छह हजार + डेढ़ हजार यात्रा भत्ता
सुनना का रोजनामचा : सुबह सात बजे : घर से निकलना नौ बजे : अस्पताल पहुँचना साढ़े नौ बजे : पिछले दिन की रिपोर्ट व्यवस्थित करना तथा उसे मरीजों या उनके घर वालों को सौंपना। दस बजे : डॉक्टर का आना, इस डॉक्टर ने ऊपर बताए गए तरीके से एम.डी. कर रखा है इसलिए फटाफट जाँच लिखता है, एक्स रे, कॉपर साल्ट टेस्ट, सोनोग्राफी, सारी जाँच के इतना खुश हो जाता है कि अनुमान से दवाएँ भी लिख मारता है। यह शाम के सात बजे तक चलता है। बीच में सुनयना से छेड़ भी चला लेता है। प्रेम करने के दावे करता है। प्रेम करने के दावों में सघन स्पर्श ही जानता है। शाम/रात नौ बजे तक घर पहुंचती है।
और... विश्वास का कोई क्या करे कि जितना भी समय बचा पाती है, उसमें एम.डी. के प्रवेश परीक्षा की तैयारी करती है। सारे समीकरण जानते बूझते भी उसने एक 'टेस्ट सीरिज जॉईन' कर रखी है और हर इतवार उस टेस्ट सीरिज के सेंटर पर परीक्षा देने जाती है। इससे पता चलते रहता है कि वो अभी कितने पानी में है। या कितनी आग बची है। |