रोक सकता हमें ज़िन्दा-ए-बला क्या मजरूह हम तो आवाज़ हैं, दीवारों से छन जाते हैं मजरुह सुलतानपुरी मशहूर शायर (यह शायर का जन्मशताब्दी वर्ष है ) |
रोक सकता हमें ज़िन्दा-ए-बला क्या मजरूह हम तो आवाज़ हैं, दीवारों से छन जाते हैं मजरुह सुलतानपुरी मशहूर शायर (यह शायर का जन्मशताब्दी वर्ष है ) |