हररातरोनाजरूरीनहीं संभवहैपृथ्वीपरअकेलेहीकुर्सीलगाकरबैठेरहनापड़े बचीहुईसारीउम्र हमेशाहीकिसीकासाथहोनाजरूरीनहीं।
प्रभात (2007) इसअंकमेंप्रभातकीकविताएंदेखेंगे |
हररातरोनाजरूरीनहीं संभवहैपृथ्वीपरअकेलेहीकुर्सीलगाकरबैठेरहनापड़े बचीहुईसारीउम्र हमेशाहीकिसीकासाथहोनाजरूरीनहीं।
प्रभात (2007) इसअंकमेंप्रभातकीकविताएंदेखेंगे |