शाम, सड़क पर गिरी हल्के से, हौले से जैसे फर्श पर गिरा हो गर्म कपड़ों का ढ़ेर। एक मजदूर शनिवार की शाम पाली बदल रहा है।
यानी रित्सोस महान ग्रीक कवि अनु.: मंगलेश डबराल (सौजन्य रचना समय)
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शाम, सड़क पर गिरी हल्के से, हौले से जैसे फर्श पर गिरा हो गर्म कपड़ों का ढ़ेर। एक मजदूर शनिवार की शाम पाली बदल रहा है।
यानी रित्सोस महान ग्रीक कवि अनु.: मंगलेश डबराल (सौजन्य रचना समय)
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