जेम्स बाल्डविन का ऐतिहासिक पत्र

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    दिसंबर - 2019
श्रेणी जेम्स बाल्डविन का ऐतिहासिक पत्र
संस्करण दिसंबर - 2019
लेखक का नाम अनुवाद - सत्याभामा राजोरिया





शुरुवात/एक ऐतिहासिक पत्र

 

 

 

 

प्रिय जेम्स,

मैंने पाँच बार इस ख़त को लिखना शुरू किया है और पाँचों बार लिखकर फाड़ चुका हूं। मुझे तुम्हारा चेहरा दिखाई देता है, जो तुम्हारे पिता का और तुम्हारे भाई का भी चेहरा है। अपने पिता की तरह तुम भी मज़बूत, चमकदार काले रंग के, संवेदनशील और मनमौजी हो। उसी की तरह उग्र दिखाई देने की ख़ास प्रवृत्ति भी तुममें है, ताकि कोई तुम्हें कमज़ोर ना समझ बैठे। शायद इस मामले में तुम अपने दादा की तरह भी हो। जो भी हो, पर शारीरिक रूप से तुम और तुम्हारे पिता उन्हीं की तरह दिखाई देते हैं। खैर, वह अब इस दुनिया में नहीं है। वह तुम्हें नहीं देख पाए। उन्होंने एक दर्दनाक ज़िन्दगी जी थी। मौत से बहुत पहले ही वह जीवन से पराजित हो गए थे। वह अपने दिल की गहराई से इस बात में यकीन करने लगे थे, कि गोरे लोग जो उनके बारे में कहते हैं, वही सच्चाई है। यह उन कुछ कारणों में से एक है, जिनकी वजह से वे अत्यंत धार्मिक हो गए थे। बेशक तुम्हारे पिता ने भी इस बारे में तुम्हें कुछ बताया होगा। ना तो तुम में और ना ही तुम्हारे पिता में इस तरह की धार्मिक प्रवृत्ति दिखाई देती है। तुमने जो एक नए युग में जन्म लिया है, जिस युग में काले लोगों ने अपना देश छोड़ा और उन शहरों में आ बसे, जिन्हें स्वर्गीय फ्रेंक्लिन फ्रेज़ियर ने ''तबाही के शहर’’ की उपाधि दी है। तुम तब तक पराजित नहीं हो सकते, जब तक तुम्हें यह विश्वास न कर लो, कि तुम वह हो, जिसे गोरे लोग ''निगर’’ कहते हैं। मैं तुम्हें यह इसलिए बता रहा हूँ, क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। और किसी भी हाल में तुम इस बात को कभी मत भूलना।

तुम्हें और तुम्हारे पिता को मैं बचपन से जानता हूँ। मैंने तुम्हारे पिता को बाहों में लिया है, अपने कन्धों पर बैटाया है, उसे चूमा है तो चपत भी लगाई है और उसे चलना सीखते हुए भी देखा। मैं नहीं जानता, कि क्या तुमने इतने पुराने अरसे से, किसी ादमी को जाना है, जैसे मैं तुम्हारे पिता को जानता हूं। अगर आप किसी को इतने लम्बे समय से प्यार करते हैं, पहले एक शिशु के रूप में, फिर एक बच्चे के रूप में और फिर एक आदमी के रूप में, तो ज़िन्दगी, पीड़ा और जीवन की दौड़-धूप का एक अजीब नज़रिया आपको मिलता है। जब भी मैं तुम्हारे पिता के चेहरे को देखता हूँ, और लोग वह नहीं देख पाते, जो मुझे दिखाई देता है, क्योंकि आज जो उसका चेहरा है, उसके पीछे वह कई चेहरे हैं जो कभी उसके हुआ करते थे। उनके चेहरे पे हँसी आने की देर होती है, कि मुझे वह तहखाना दिखाई देता है, जो अब उसे याद नहीं। वह घर दिखाई देता है, जिसे वह भूल गया है। उसकी आज की हँसी में, उसके बचपन की हँसी छुपी होती है। जब वह गालियाँ निकालता है, ताते मुझे उस तहखाने की सीडिय़ों से उसका चिल्लाते हुए गिरना याद आता है। और पीड़ा के साथ उसके वह आँसू याद आते हैं, जिन्हें मेरे और तुम्हारे दादाजी के हाथों ने बड़ी आसानी से पोंछ दिया था। लेकिन कोई भी हाथ, अब उन आँसुओं को नहीं पोंछ सकते, जो वह आज अपने भीतर ही भीतर बहाता है। यह वह आँसू हैं, जो उसकी हँसी, उसके भाषणों और उसके गीतों में सुनाई पड़ते हैं। मैं जानता हूँ इस दुनिया ने मेरे भाई के साथ क्या किया है, और कैसे वह बाल-बाल बच पाया है। मैं यह भी जानता हूँ कि इनसे कहीं ज्यादा बदतर वह ज़ुर्म है, जिसके लिए मैं अपने देश और इसके नागरिकों को दोषी ठहराता हूँ। और जिसके लिए न तो मैं, न वक्त और ना ही इतिहास उन्हें कभी माफ़ कर पायेगा। उन्होंने सैकड़ों लोगों की ज़िन्दगियाँ बर्बाद की हैं और कर रहे हैं। वह इस बात को ना तो जानता हैं और ना ही जानना चाहते हैं। हमें कठोरता और दार्शनिकता के साथ, तबाही और मौत पर सोचने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जबसे इंसान पैदा हुआ है, इन्हीं चीज़ों में अधिकांश मानता सबसे अधिक काबिल रही है। (पर हमें यह याद रखना चाहिए कि अधिकांश मानवता ही संपूर्ण मानवता नहीं है)। पर हम यह नहीं मान सकते कि तबाही का अफसाना लिखने वाले पूरी तरह मासूम थे। क्यूंकि 'मासूमियत’ से ही ज़ुर्म बनता है।

ऐ मेरे प्यारे हमनाम, तुम्हारे हमवतन ये 'मासूम’ और 'भले’ लोग, उन हालात की वजह हैं, जिनमें तुमने जन्म लिया, जो सौ साल पहले के लन्दन के उन हालात से ज़्यादा अलग नहीं हैं। हमारे लिए जिनका ब्यौरा चाल्र्स डिकेंस ने लिखा है। मुझे इन 'मासूम’ लोगों का कोरस सुनाई देता है, वह चीखते हैं : ''नहीं, यह सच नहीं है! तुम कितने कटु हो गए हो!’’ पर मैं यह ख़त तुम्हें यह समझाने के लिए लिख रहा हूँ कि इन लोगों से कैसे निपटा जाए। जिनमें से ज्यादातर अभी तक नहीं जानते कि तुम भी इस दुनिया में मौजूद हो। मैं उन हालात को जानता हूँ, जिनमें तुम्हारा जन्म हुआ, क्यूंकि तब मैं वहाँ मौजूद था। तुम्हारे ये हमवतन वहाँ मौजूद नहीं थे और अब भी उस तरफ उनकी नज़र नहीं जाती। तुम्हारी दादी भी वहाँ मौजूद थी। और अभी तक उन पर किसी ने कटु होने का आरोप भी नहीं लगाया है। इन मासूम लोगों को मेरी यह सलाह है, कि जिन हालात की मैं बात कर रहा हूँ, उनकी पड़ताल तुम्हारी दादी के जीवन को देखकर कर लें। उसे ढूंढना मुश्किल नहीं है। तुम्हारे ये देशवासी, यह भी नहीं जानते कि वह भी इस दुनिया में मौजूद है। जबकि उसने अपना पूरा जीवन, इन लोगों के घरों में काम करते हुए गुज़ार दिया है।

खैर, तुम्हारा जन्म हुआ, और तुम इस दुनिया में लगभग पंद्रह साल पहले आये। जबकि तुम्हारे पिता, माँ और दादी उन सड़कों को पहचान रहे थे जिन पर तुम्हें उठा कर वह चल रहे थे, उन दीवारों की ओर देख रहे थे, जहाँ वह तुम्हें लाये थे। उनके पास उदास होने की हर वजह मौजूद थी, पर वह उदास नहीं थे। क्योंकि उनके पास तुम थे, बिग जेम्स! हाँ, मेरे नाम पर तुम्हारा नामकरण हुआ था। लेकिन मेरे विपरीत, तुम एक हष्ट-पुष्ट बच्चे थे। उनके पास तुम थे, प्यार लुटाने के लिए, बहुत प्यार करने के लिए मेरे बच्चे, तब और हमेशा याद रखना जेम्स। मैं जानता हूँ कि आज तुम्हें सब अंधकारमय लग रहा है। वह दिन भी बहुत अंधकारमय था। हाँ, हम काँप रहे थे। हमने आज भी काँपना बंद नहीं किया है। लेकिन अगर हम एक दूसरे को प्यार नहीं करते, तो हममें से कोई भी जीवित नहीं रह पाता। और अब तुम्हें जीना है, क्योंकि हम तुम्हें प्यार करते हैं, अब तुम्हें अपने बच्चों और उनके बच्चों की खातिर जीना है।

इस 'मासूम’ देश ने तुम्हें इन झुग्गी-बस्तियों में रहने को मजबूर किया है और वह चाहता है कि तुम वहीं खत्म हो जाओ। जिस बात पर मेरा सबसे ज़्यादा ज़ोर है, वह अब मैं तुम्हें सीधे-सीधे बताता हूँ, यह मुद्दा मेरे देश के साथ मेरी मूल लड़ाई की जड़ है। तुम जहाँ पैदा हुए वहां इसलिए पैदा हुए और जो भविष्य तुमने देखा, वह इसलिए देखा, क्यूँकि तुम एक ब्लैक हो, तुम्हारी इन परिस्थितियों का सीधा कारण यही है! और कोई वजह नहीं है! तुम्हारी महत्वाकांक्षाओं की सीमाएं पहले से ही हमेशा के लिए तय कर दी गई हैं। तुम एक ऐसे समाज में पैदा हुए हो, जिसने हर संभव प्रयास द्वारा बर्बर स्पष्टता के साथ, तुम्हें यह बार-बार बताने की कोशिश की, कि तुम एक बेकार आदमी हो। तुमसे यह अपेक्षा नहीं है कि तुम श्रेष्ठता की आकांक्षा कर सको, बल्कि साधारण कोटि में ही रह कर, संतोष रखने की अपेक्षा ही तुमसे है। इन दुनिया में बितायी इतनी छोटी उम्र में भी, तुम जहाँ भी गये जेम्स, तुम्हें बताया गया कि तुम कहाँ जा सकते हो, क्या कर सकते हो (और कैसे कर सकते हो), कहाँ रह सकते हो और किससे शादी कर सकते हो। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे ये देशवासी मुझसे इस मुद्दे पर सहमत नहीं हैं और मैं उन्हें यह कहते हुए सुनता हूँ, ''तुम बढ़ा-चढ़ा कर बोलते हो’’। लेकिन वह सच्चाई नहीं जानते। वे हार्लेम1 को नहीं जानते, जबकि मैं जानता हूँ। और तुम भी जानते हो। लेकिन तुम किसी पर विश्वास मत करो, मुझ पर भी नहीं। केवल अपने अनुभव पर भरोसा रखो। यह जानो कि तुम कहाँ से आते हो, और वास्तव में तुम कहाँ तक जा सकते हो इसकी कोई सीमा नहीं है। तुम्हारे जीवन के ब्यौरे और प्रतीक, जानबूझकर कुछ इस तरह तैयार किये गए हैं कि तुम उन बातों को सही मानने लगो, जो गोरे लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं। लेकिन तुम हमेशा याद रखना कि वह किन बातों में विश्वास रखते हैं, और यह भी कि वे तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार करते हैं, और तुम्हें इसके कारण क्या-क्या सहन करना पड़ा है। इससे तुम्हारा कमतर होना नहीं, बल्कि उनकी अमानवीयता और डर ही उजागर हुए हैं। एक सुलझे हुए नज़रिए से अपने युवा ज़हन में उमड़ते गुस्से के तूफ़ान को देखने की कोशिश करना प्रिय जेम्स। 'स्वीकृति’ और'समन्वय’ जैसे शब्दों के पीछे की उस सच्चाई को जानना। समझना कि तुम्हें गोरे लोगों की तरह बनने की कोई वजह नहीं है। समझना कि उनके इस घमंडी सोच का कोई आधार नहीं है कि उनको तुम्हें 'स्वीकार’ करना ही होगा। लेकिन वास्तव में सबसे तकलीफदेह बात यह है दोस्त कि तुम्हें, उन्हें 'स्वीकार’ करना ही होगा। और इस बात को मैं बहुत गंभीरता से कह रहा हूँ। तुम्हें उन्हें 'स्वीकार’ करना होगा और प्यार के साथ 'स्वीकार’ करना होगा। क्योंकि इन 'मासूम’ लोगों के पास और कोई उम्मीद नहीं बची है। वह दरअसल इस इतिहास में फँसे हुए हैं, जिसे वह समझते नहीं हैं। और जब तक वह उसे समझेंगे नहीं, उससे मुक्त नहीं हो पाएंगे। लम्हे अरसे से, अनगिनत कारणों से उन्होंने यह माना है कि काले लोग, गोरों से हीन होते हैं। उनमें से कई इस बात की सच्चाई जानते हैं। पर जैसा कि तुम्हें अनुभव के साथ पता चलेगा, जो लोग सच जानते हैं, उन पर अमल कर पाने में वे बड़ी कठिनाई अनुभव करते हैं। किसी बात पर अमल कगरना, उसके प्रति प्रतिबद्ध होना होता है, और प्रतिबद्ध होने में खतरे होते हैं। इस सन्दर्भ में अधिकतर गोरे अमरीकियों के ज़ेहन में अपने अस्तित्व को खो देने का खतरा है। कल्पना करने की कोशिश करो कि एक सुबह तुम उठते हो और सूरज को चमकते और सभी तारों को जलता हुआ पाओ। तुम आतंकित हो जाओगे, क्योंकि यह प्रकृति के क्रम के बाहर की घटना होगी। कायनात में आई कोई भी खलबली इतनी भयानक इसलिए होती है क्योंकि यह बहुत गहराई से आपकी अपनी वास्तविकता पर हमला करती है। खैर, काले लोग, गोरे लोगों की दुनिया में स्थित तारे की तरह रहे हैं, एक अचल स्तम्भ की तरह। जैसे ही कोई काला व्यक्ति अपनी जगह से थोड़ा भी हिलता है, पृथ्वी और स्वर्ग की नींव हिल उठती है। लेकिन तुम बिलकुल भी घबराना नहीं। जैसा कि मैंने कहा था कि यह पूर्वनिर्धारित कर दिया गया था कि तुम झुग्गी-बस्तियों में ही अपना सारा जीवन बिताकर मर-मिट जाओ, गोरे लोगों की इन गढ़ी गयी परिभाषाओं के पीछे के सच को जानने से पहले ही मिट जाओ, अपने नाम को लिखना तक कभी सीख न पाओ, तुमने और हममें से कइयों ने इस मान्यता को पछाड़ा है। और एक भयानक नियम, एक भयानक पहेली के कारण, ये 'मासूम’, जो यह विश्वास करते हैं कि तुम्हारे क़ैद होने पर ही, वे सुरक्षित रह सकते हैं, खुद की वास्तविकता पर अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं। लेकिन याद रखो कि ये लोग तुम्हारे भाई हैं, तुम्हारे बिछड़े हुए, छोटे बाई। और अगर 'समन्वय’ जैसा कोई शब्द होता है, तो उसका सच्चा अर्थ यही है, कि हम प्रेमपूर्वक अपने इन भाइयों के इसके लिए मजबूर करें, कि वह अपनी खुद की असलियत को देख पायें, वास्तविकता से भागना बंद करें, और इस इसे बदलने की शुरुआत करें। ये तुम्हारा घर है मेरे दोस्त, इससे कभी दूर मत होना। यहाँ महान लोगों ने महान काम किये हैं और आगे भी करते रहेंगे. हम अमेरिका को वह बना सकते हैं, जो अमेरिका को होना चाहिए। यह काम बहुत कठिन होगा, जेम्स, लेकिन याद रखो कि तुम अपने उन मज़बूत किसान पूर्वजों के बेटे हो, जिन्होंने कपास के खेतों को अपने हाथों से जोता है, जिन्होंने नदियों पर बाँध बनाये हैं, जिन्होंने रेल की पटरियों का निर्माण किया है और जिन्होंने असंख्य बाधाओं को भेदते हुए अपराजेय और अविस्मरणीय गरिमा पाई है। तुम उन महान कवियों की लम्बी परंपरा से आते हो, जो होमर के बाद के सबसे महान कवि रहे हैं। जिनमें से एक ने कभी कहा था; ''जैसे ही जिस पल मुझे लगा कि मैं राह में खो गया हूँ, मेरा कारावास हिल उठा, और मेरी ज़ंजीरें टूट गईं।’’

मैं और तुम दोनों ही जानते हैं, कि जल्द ही हमारा देश वक्त से सौ साल पहले ही आज़ादी के सौ साल पूरे होने का जश्न मनायेगा। हम तब तक आज़ाद नहीं हो सकते, जब तक वह आज़ाद नहीं होते। तुम्हें बहुत सारा प्यार और प्रभु तुम पर रहम करें।

तुम्हारा अंकल

जेम्स

 

1. हार्लेम- न्यूयार्क शहर के ऊपरी मैनहाटन इलाके की ग़रीब कालों की बस्ती

 

 

जेम्स बाल्डविन अमरीका के प्रसिद्ध अफ्रीकी-अमरीकी लेखक हैं जो साठ के दशक में नस्लभेद के विरोध की एक सशक्त आवाज़ बने। 1963 में उनकी किताब 'द फायर नेक्स्ट टाइम’ में उनका एक निजी ख़त प्रकाशित हुआ था। उन्होंने यह ख़त गुलामी से मुक्ति की सौवीं सालगिरह पर अपने 14 साल के भतीजे को लिखा था। इसमें वह बहुत सूक्ष्मता से नस्लभेद के मनोविज्ञान पर बात करते हैं। अमरीका में नस्लभेद के मनोविज्ञान और राजनीति को समझने के लिए इस ख़त को पढ़ा जाना जरूरी है।

 

ज्ञानरंजन जी,

मैं आपको प्रसिद्ध अफ्रीकी-अमरीकी लेखक जेम्स बाल्डबिन के एक पत्र का अनुवाद भेज रही हूँ। यह पत्र उन्होंने 1963 में अपने भतीजे को, अमरीका में गुलामों की मुक्ति का क़ानून पारित होने के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में लिखा था, जो उनकी पुस्तक 'फायर नेक्स्ट टाइम’ में प्रकाशित हुआ था। इसमें वह अपने भतीजे को अमरीका में ब्लैक लोगों की स्थिति के बारे में बताते हैं और नस्लभेद के मनावैज्ञानिक पक्षों का विश्लेषण करते हैं।

मैं हैदराबाद विश्वविद्यालय में इस वक्त एम.फील. हिंदी की छात्रा हूं। लाल्टू जी ने मुझे पहल में अपना अनुवाद भेजने की सलाह दी। यह मेरा पहला अनुवाद है, जिसे मैं कहीं प्रकाशित होने के लिए भेज रही हूँ।

 

सत्याभामा राजोरिया

हैदराबाद, मो. 7000361632, 9560970331

 

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