टुम्पा

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    अप्रैल २०१३
श्रेणी कहानी
संस्करण अप्रैल २०१३
लेखक का नाम रमानाथ राय, अनुवाद : पापोरी गोस्वामी





बांग्ला कहानी








जो किसी ने नहीं सोचा था वही हुआ। टुम्पा बी.ए. की परीक्षा में पास हो गई। टुम्पा के पापा ने खुश होकर कहा, तू और पढ़। मैं तुझे पढ़ाऊँगा। लेकिन टुम्पा ने कहा, मैं और नहीं पढऩा चाहती।
पापा ने पूछा - क्यों?
- पढऩे-लिखने में मेरा मन नहीं लगता।
- तो फिर क्या करोगी?
टुम्पा ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप खड़ी रही। टुम्पा के पास उसकी माँ भी खड़ी थी। माँ ने पूछा - जवाब क्यों नहीं दे रही, कुछ बोल भी, क्या करना चाहती है?
टुम्पा फिर भी चुपचाप ही खड़ी रही। माँ-पापा बड़ी मुश्किल में पड़ गए। उन्हें समझ में नहीं आया अब क्या कहें और कुछ देर तक यूँ ही चुप रहे।
आ$िखरकार माँ ने खीझकर कहा - जब तुझे पढ़ाई-लिखाई अच्छी नहीं लगती तो शादी कर ले, करेगी?
टुम्पा शरमाते हुए बोली - हाँ करूँगी।
यह सुनकर माँ ने टुम्पा के पापा से कहा - तो फिर अब देर करने की ज़रूरत नहीं। तुम अखबार में वर के लिए विज्ञापन दे दो।
इस पर टुम्पा गुस्से से बोली - कोई विज्ञापन देने की ज़रूरत नहीं। लड़का मैं पसंद कर चुकी हूँ।
पापा-माँ दोनों चौंक पड़े। उनकी दुलारी बेटी ने चुपके से लड़का भी तय कर लिया है और पापा-माँ होकर भी उन्हें कुछ पता नहीं चला। मन ही मन वे बेटी से नाराज़ हुए। लेकिन कहने के लिए कुछ नहीं बचा था। कुछ कहेंगे तो अशांति होगी। इसलिए उन्होंने चुपचाप बेटी की बात सुन ली। लेकिन माँ अपनी जिज्ञासा दबा नहीं पाई और पूछ बैठी - लड़का कौन है?
टुम्पा अब सहज स्वर में बोली -लड़के को आप लोग पहचानते हैं।
माँ ने जानना चाहा - वो तो ठीक है लेकिन वह है कौन?
- निखिल बाबू, टुम्पा ने धीरे से कहा।
ये सुनकर पापा चौंक उठे... निखिल बाबू? वे तुमसे शादी करेंगे?
टुम्पा ने कहा - वे करेंगे या नहीं, ये नहीं पता, लेकिन अगर मुझे शादी करना होगा तो उन्हीं से करूँगी।
- लेकिन निखिल बाबू तो ब्राह्मण है, वे तुमसे शादी क्यों करेंगे और फिर तुम उनकी छात्रा हो। इस शादी को समाज अच्छी नज़र ने नहीं देखेगा।
टुम्पा ने खीझकर कहा - शादी मैं करूँगी। अब इसको लेकर लोग क्या सोचेंगे, ये मेरा सिर दर्द नहीं।
पापा जानते हैं कि टुम्पा बहुत ज़िद्दी है। वह जो सोचेगी वही करेगी। लेकिन अब निखिल बाबू के पास कैसे जाएं? कैसे उनसे कहें कि मेरी बेटी आपसे प्यार करती है? आप मेरी बेटी से शादी करके मुझे चिंता मुक्त करें। यह संभव नहीं है। ऐसा बोलना उनके लिए संभव नहीं है। इससे अच्छा तो ये है कि टुम्पा जो करना चाहती है करे। इसमें उन्हें नाक नहीं घुसेडऩा है। लेकिन टुम्पा से ये कहना ज़रूरी है। इसलिए टुम्पा के पापा गंभीर स्वर में बोले - मैं निखिल बाबू के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना नहीं कर सकता कि आप मेरी बेटी को अपना लें। जो करना है वह तुम्हें ही करना है। क्या तुम इस पर राज़ी हो?
टुम्पा ने सहज स्वर में कहा - हाँ मैं राज़ी हूँ।
टुम्पा के पापा ने फिर कहा - लेकिन अगर निखिल बाबू राज़ी नहीं होते तो मैं कुछ नहीं कर सकता।
टुम्पा ने कहा - आपको कुछ करने की ज़रूरत नहीं। जो करना है मैं ही करूँगी।

दो

एक दिन सुबह टुम्पा निखिल के सामने हाज़िर हो गई। निखिल उस समय सोफे में बैठकर अ$खबार पढ़ रहे थे। टुम्पा को देखकर निखिल ने अखबार रख दिया। पूछा - तुम यहाँ कैसे?
टुम्पा निखिल के सामने बैठ गई। कहने लगी - ज़रूरी काम से आई हूँ।
निखिल ने कौतूहल से पूछा - क्या ज़रूरी काम है?
- मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ। उम्मीद है कि आपको इससे कोई आपत्ति नहीं होगी?
- है, मुझे आपत्ति है।
- आपत्ति किस बात की?
- पहली बात तो ये है कि तुम मेरी छात्रा हो। शिक्षक के लिए ये उचित नहीं है कि वह अपनी छात्रा से शादी करे। दूसरी बात ये कि तुम बिल्कुल बेवकूफ किस्म की लड़की हो। तुम्हारे दिमाग में बुद्धि नहीं है। मैं किसी बेवकूफ सी लड़की के साथ शादी नहीं कर सकता।
टुम्पा ने ठंडी आवा में बोलना शुरू किया - ऐसा कोई कानून दुनिया में नहीं है कि शिक्षक छात्रा से शादी नहीं कर सकता। इसलिए ये शादी हो सकती है और आजकल ऐसी शादियाँ हो भी रही हैं। ये कोई नई बात नहीं है। दूसरी बात, मैं बेवकूफ हो सकती हूँ लेकिन बहुत काम की हूँ। आप इस फ्लैट में अकेले रहते हैं। आपके माँ-बाप नहीं हैं, भाई-बहन नहीं हैं। आप बीमार पड़ेंगे तो आपकी सेवा कौन करेगा? मुझसे शादी करने पर मैं आपकी सेवा कर सकती हूँ।
निखिल ने खीझकर कहा - मुझे देवदासी नहीं चाहिए। तुम अब जा सकती हो।
टुम्पा ने गुस्से से भरकर कहा - मैं नहीं जाऊँगी। मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ। मैं कोई ना, नुकूर नहीं सुनूँगी।
इस पर निखिल ने कहा - लेकिन मैं तुमसे क्यों शादी करूँगा? तुममें कौन सा गुण है?
- मैं कई तरह के पकवान बना सकती हूँ। मैं स्वादिष्ट खाना बनाकर खिलाऊँगी।
- मुझे खाना बनाने वाली नहीं चाहिए, मैं खुद खाना बना सकता हूँ।
- मैं बर्तन माँज दूँगी, घर की सफाई कर दूँगी।
- उसके लिये मेरे पास लोग हैं।
- तो फिर मैं आपके कपड़े धो दूँगी।
- उसकी ज़रूरत नहीं। मेरे पास कपड़े धोने वाली मशीन है।
- तो फिर मैं आपकी संतान की माँ बनूंगी।
- लेकिन मुझे बाप बनने की इच्छा नहीं है।
लेकिन मैं तो माँ बनना चाहती हूँ
- इसके लिए तुम किसी और को देखो।
टुम्पा इसका जवाब न देकर थोड़ी देर चुप रही और फिर धमकी के स्वर में बोली - आप इस तरह से मुझसे कैसे कह सकते हैं? आप जानते हैं इसका परिणाम क्या होगा, मैं आपको ...
निखिल ने मज़ाक के स्वर में कहा - क्या करोगी तुम थाने में जाकर? शीलहरण की शिकायत करोगी? और कुछ नहीं तो तुम्हारी मेहरबानी से दो दिन जेल में काट आऊँगा। एक नया अनुभव होगा, भविष्य में काम आ सकता है।
टुम्पा ने कहा - आपको इतना अहंकार है?
- हाँ बहुत अहंकार है। मैं किसी से नहीं डरता। लेकिन हाँ, अमेरिका के राष्ट्रपति से डरता हूँ। वह क्रोधित होकर हमारे ऊपर बम गिरा सकता है।
टुम्पा ने राहत की साँस लेकर कहा - चलो एक रास्ता तो निकला। मैं अमेरिका के राष्ट्रपति से शिकायत करूँगी।
निखिल ने कहा - तुम यही कोशिश करो। तुम अगर अमेरिका के राष्ट्रपति की तरफ से मेरे ऊपर दबाव डाल सकती हो, तो मैं तुमसे शादी कर सकता हूँ।
वापस जाते हुए टुम्पा ने कहा - मैं यही करूँगी।

तीन

निखिल मन ही मन हँसने लगा। वह जानता है कि टुम्पा बेवकूफ है। इतनी बेवकूफ कि उसने उनकी बात मान भी ली। टुम्पा नहीं जानती कि अमेरिका के राष्ट्रपति तक पहुँच पाना संभव नहीं है। पूरी ज़िंदगी कोशिश करके भी वह कुछ नहीं कर सकेगी। निखिल निश्चिंत हो गया।
लेकिन टुम्पा के लिए काम कठिन नहीं था। उसने तय किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखेगी। टुम्पा जानती है कि अमेरिका का राष्ट्रपति विभिन्न देशों की ढेरों समस्याओं का समाधान करते रहते हैं, इसलिए उनके लिए उसकी समस्या का समाधान करना असंभव नहीं है। उनके लिए तो ये बहुत आसान काम है। इसलिए बहुत सोच-समझकर टुम्पा ने अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम अँग्रेज़ी में पत्र लिखा। पत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है -

माननीय राष्ट्रपति,
व्हाइट हाउस, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका

सविनय निवेदन है कि मैं एक सामान्य बांग्ला नारी हूँ। मै 29 गढ़पाड़ रोड, कोलकाता, 700009 में रहती हूँ। मेरे शिक्षक निखिल राय, 13, गढ़पाड़ रोड में रहते हैं। मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ, लेकिन वे मुझसे शादी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा है कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति उनके ऊपर शादी के लिए दबाव डालेंगे तभी वे मुझसे शादी करेंगे, वर्ना नहीं। मेरा निवेदन है कि आप मेरे शिक्षक को आदेश करें कि वे मुझसे शादी कर लें। अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं आपके प्रति कृतज्ञ रहूँगी।
प्रार्थी
टुम्पा
कोलकाता    03.01.2012

अमेरिका के राष्ट्रपति के पास तमाम देशों से तरह-तरह की चिट्ठियाँ आती रहती हैं। वे सभी चिट्ठियों का जवाब नहीं देते, किसी-किसी चिट्ठी का जवाब देते हैं। टुम्पा की चिट्ठी पढ़कर उन्हें बहुत कौतूहल हुआ। उन्होंने तय किया कि लड़की की सहायता करनी चाहिए। इसलिए उसी समय टुम्पा के नाम एक चिट्ठी लिख डाली। अँग्रेज़ी में लिखी गई चिट्ठी का हिंदी अनुवाद इस प्रकार -


टुम्पा मित्र, 29 गढ़पाड़ रोड, कोलकाता, 700009

प्रिय टुम्पा,

आपका पत्र पढ़कर मैं बहुत खुश हुआ। हमारे ऊपर अर्थात् अमेरिका में आपकी परम आस्था देखकर हम गर्व महसूस कर रहे हैं। अब आपकी समस्या केवल आपकी नहीं रह गई है, ये समस्त नारी जाति की समस्या बन गई है। केवल पुरुष ही नारी पर अधिकार दिखाते आए हैं। पहले पुरुष जो भी कहते थे नारी वही सही मानकर चलती थी। अब युग बदल रहा है। अब नारी जो कहेगी, पुरुषों को वही मानकर चलना होगा। अब एक लड़की किसी से शादी करना चाहती है तो उसमें किसी पुरुष की आपत्ति नहीं सुनी जाएगी। हम जानते हैं कि लड़कियाँ बहुत मूडी होती हैं। लड़कियाँ तर्क के आसपास नहीं फटकतीं। हम ये भी जानते हैं कि लड़कियाँ शरीर और मन से कमज़ोर होती हैं। इसलिए वे आज तक पुरुष की तुलना में पिछड़ी हुई हैं। इसलिए पुरुषों के लिए ये उचित है कि वे नारियों की हर तरह से सहायता करें। आप निश्चिंत रहें, हम आपके साथ हैं। निखल राय को हम आपके पास ले आएँगे।
स्नेह एवं शुभकामनाओं सहित,
राष्ट्रपति
व्हाइट हाऊस
वाशिंगटन डी सी     दिनांक 20.01.2012
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका

चार

निखिल को ये सब पता नहीं था। टुम्पा को अस्वीकार करने के बाद से उसके दिन आनंद से ही कट रहे थे। लेकिन अचानक एक दिन उसके पास अमेरिका के राष्ट्रपति की चिट्ठी आई। चिट्ठी का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है -

निखिल राय, 13 गढ़पाड़ रोड, कोलकाता - 700009

प्रिय निखिल,

ये जानकर मैं बहुत क्रोधित हूँ कि आपने टुम्पा जैसी अबला नारी से शादी करने से मना कर दिया है। आपका ये हद से ज़्यादा अडिय़लपन क्षमा के लायक नहीं है। हम आपको पंद्रह दिन का समय दे रहे हैं। इस अवधि के अंदर अगर आप टुम्पा मित्र से शादी करते हैं तो हमारा आशीर्वाद आपको मिलेगा। सिर्फ यही नहीं, हम आपको जीवन संग्राम में जीतने के लिए हर तरह से मदद करेंगे। और अगर आप टुम्पा से शादी नहीं करेंगे, तो आपका सर्वनाश होगा। हम आपको एक पल में मिट्टी में मिला देंगे। इसलिए  हमारी अवहेलना करना बुद्धिमानी नहीं होगी। ईश्वर आपका मंगल करें।

आपका शुभाकांक्षी
राष्ट्रपति
व्हाइट हाउस,वाशिंगटन डी.सी.
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका    21.02.2012

चिट्ठी बढ़कर निखिल आतंकित हो उठे। टुम्पा इतनी दूर तक चली जाएगी, इसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। और ये अमेरिका का राष्ट्रपति भी किस तरह का आदमी है? उनके पास क्या कोई काम नहीं बचा है? कहाँ की टुम्पा के लिए हमारे ऊपर दबाव डाल रहे हैं। इसका कोई उपाय तो ढूँढऩा होगा। लेकिन कैसे, क्या किया जा सकता है? पूरी दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो अमेरिकी राष्ट्रपति के विरूद्ध सीना तानकर खड़ा हो जाए। क्या इसीलिए उन्हें ये अशुभ विवाह को स्वीकार करना पड़ेगा? स्वीकार करना उचित होगा? दुश्चिंता की  वजह से वे कई रात सो नहीं पाए। उनकी समझ में नहीं आया कि अब क्या करना चाहिए। आख़िरकार बहुत सोचने-समझने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति के नाम विनम्रता के साथ पत्र लिखा।  पत्र का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है -

माननीय राष्ट्रपति,
व्हाइट हाउस
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका

सविनय निवेदन है कि आपकी डरावनी चिट्ठी पढ़कर मेरी हड्डियाँ जम गईं। टुम्पा से शादी करने के लिए आप धमकी देंगे, ऐसी आप जैसे महानुभाव से आशा नहीं थी। पहली बात तो ये कि टुम्पा मेरी छात्रा है। उसके प्रति मेरे मन में कोई प्रेम नहीं है, उसके प्रति मैं स्नेह की भावना रखता हूँ। इसलिए मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं एक स्नेह की पात्र को पत्नी के रूप में अपनाऊँ। मेरी स्थिति को समझकर मुझे क्षमा करें।

भवदीय
निखिल राय
13 गढ़पाड़ रोड
कोलकाता, 700009    दिनांक 29.03.2012


पाँच

लगभग एक महीने बाद राष्ट्रपति की ओर से एक और पत्र आया। पत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है -

निखिल राय
13 गढ़पाड़ रोड
कोलकाता - 700009

प्रिय निखिल,

आपके अपने पत्र में हद से ज़्यादा अडिय़ल रवैया और अहमकपन दिखाया है, जिससे मैं बहुत क्षुब्ध हूँ। टुम्पा आपकी छात्रा हो सकती है और हो सकता है आप उससे प्यार भी नहीं करते हों। लेकिन खास बात ये है कि टुम्पा आपसे प्यार करती है और आपसे शादी करना चाहती है। सबसे बड़ी बात ये है कि मैंने आपसे टुम्पा से शादी करने के लिए कहा। ये मेरा हुक्म है। मेरा हुक्म न मानने की क्षमता किसी में नहीं है। एक कीड़े-मकोड़े की हैसियत होने के बावज़ूद तुम मेरे हुक्म को नकार रहे हो। इसके लिए तुमको उचित सज़ा दी जाएगी। शुभ दिन देखकर पंद्रह दिन के अंदर मैं आप लोगों की शादी करवाने की व्यवस्था कर रहा हूँ। इस शादी को रोकने की ताकत किसी में नहीं है।

राष्ट्रपति,
व्हाइट हाऊस    वाशिंगटन डी.सी
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका    28.04.2012

ये चिट्ठी पढ़कर निखिल स्तब्ध रह गए। सहायता के लिए उन्होंने बहुत भाग-दौड़ की। मुख्यमंत्री के पास गए, प्रधानमंत्री के पास गए। लेकिन कोई उन्हें सहायता का आश्वासन नहीं दे सका। अमेरिका के राष्ट्रपति से सभी डरते हैं। कोई भी उनके विरुद्ध नहीं जाना चाहता। उनके विरुद्ध जाने की उनकी क्षमता भी नहीं है।

 छह

अब क्या होगा? निखिल हताशा में टूट गए। राष्ट्रपति से बचने का कोई भी रास्ता नहीं है। एक उपाय है। वह देश छोड़कर भाग जाए। लेकिन किस देश में जाए वो? जहाँ भी रहेंगे राष्ट्रपति उन्हें ढूँढ़ लेंगे। ढूँढ़ लें। फिर भी भागने की कोशिश उन्हें करनी ही होगी। सुंदरवन के जंगलों में कुछ महीनों तक छिपा जा सकता है। राष्ट्रपति और पुलिस ढूँढऩे में नाकाम रहेंगे और लौट जाएंगे।  वे सुंदर वन भागने की तैयारी कर ही रहे थे कि तीन अमेरिकी सैनिक फ्लैट का दरवाज़ा तोड़ते हुए अंदर घुस आए। इसके बाद उन्होंने निखिल के साथ अँग्रेज़ी में पूछताछ शुरू कर दी।
इस पूछताछ का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है -
- आप निखिल राय हैं?
- हाँ लेकिन मैं आप लोगों को पहचान नहीं पाया?
- हम लोग अमेरिका से आए हैं। राष्ट्रपति ने हम लोगों को भेजा है।
- क्यों?
- आपको पकड़कर ले जाने के लिए।
- मुझे पकड़कर कहाँ ले जाएंगे?
- चलोगे तो पता चलेगा।
- लेकिन... लेकिन मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा है।
- अच्छा न लगे तो न लगे। अब बातें न बढ़ाते हुए हमारे साथ चलो।
निखिल न नहीं कर पाए। उन लोगों के साथ लिफ्ट से नीचे आ गए। सड़क पर एक बड़ी अमेरिकी गाड़ी थी। निखिल सैनिकों के साथ उस गाड़ी में बैठ गए।
थोड़ी देर बाद एक विशाल शामियाने के सामने गाड़ी रुकी। निखिल ने एक सैनिक से पूछा - यहाँ क्यों?
- सैनिक ने जवाब दिया, राष्ट्रपति का हुक्म है।
- क्या हुक्म है?
- आपको शादी करना होगा।
- किससे?
- टुम्पा मित्र से।
इस बात का अंदाज़ा निखिल को पहले से ही था। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकते थे। विवश होकर वे शामियाने के अंदर घुस गए। पूरा शामियाना रोशनी से नहा रहा था। उस रोशनी में रानी बनकर बैठी थी टुम्पा मित्र। टुम्पा के चारों ओर अमेरिकी सैनिक तैनात थे। टुम्पा निखिल को देखकर मंद-मंद मुस्कराने लगी। इस मुस्कराहट से निखिल के तन-बदन में आग लग गई।

- सात -

शादी के बाद दोनों के दिन शांति से कटने लगे। निखिल टुम्पा से नाराज़ नहीं है। वह उसे प्यार भी करने लगे। टुम्पा भी निखिल को पति के रूप में पाकर खुशी-खुशी रहने लगी।
लेकिन छह महीने बाद उनके बीच अशांति शुरू हो गई। निखिल जो भी कहता उसे टुम्पा सुनना ही नहीं चाहती और टुम्पा जो भी कहती उसे निखिल नहीं सुनता। धीरे-धीरे दोनों की लड़ाई चरम सीमा पर पहुँचने लगी। यही नहीं, इस अशांति की खबर अमेरिका के राष्ट्रपति तक पहुँच गई। उन्होंने तुरंत अपने आदमियों के ज़रिए दो अमेरिकी रिवाल्वर दोनों के लिए भेज दिए। साथ ही चिट्ठी लिखकर दोनों से कहा - आप दोनों के आपसी टकराव के बारे में पता चला, इसलिए आप लोगों के लिए रिवाल्वर भेज रहा हूँ। आशा है शांति कायम रखने में ये काम आएंगे।

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