दो कविता

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    अप्रैल 2018
श्रेणी दो कविता
संस्करण अप्रैल 2018
लेखक का नाम प्रमोद बेडिय़ा





कविता






खोती जाती औरत

सुबह से खोई हुई औरत
खोज रहा हूँ
रात तो बगल में ही सोयी थी
सुबह भी थी पता नहीं
जरा आ रहीं हूँ कह कर
गई या नहीं लेकिन मिल
तो नहीं रही है।

मैंने बर्तनों में खोजा
वे आवाज करते जा रहे थे
जैसे कह रहे थे नहीं बताएँगे
कहाँ छुपाया है उसे लेकिन
वह हमारे पास है।

मैंने सोचा ये मजाक कर रहे हैं
नल को चलाते ही वह कुछ बोली
देखो वह पानी-सी बह रही है
सहेज लो, वरना बिखर जाएगी
बह जाएगी, कोशिश तो बहुत की
मैंने, लेकिन वह बहती गई
बिखरती गई
लगा यह झूठ कह रही है।

लगा बिस्तर से ही पूछूँ, क्योंकि
अंतिम बार वहीं देखा था तो बिस्तर पर
हाथ लगाते ही वह सिहरा, ज्यों वह
औरत जवानी में सिहरती थी
कि मैं काँपने लगा, यह क्या हुआ
मुझे कि मैं बिस्तर से ही लिपटने
जा रहा था कि पत्ते गिरने की
आवाज़ आई।

मैं बाहर आया तो सूखे पत्ते हाथ
हिला कर मुझे बुला रहे थे
मैं चकित था कि आज यह हो क्या रहा है
वह औरत तो कहीं नहीं है
और सब मुझे ही अपराधी समझते
जा रहे हैं जैसे मैंने उसका
अपहरण कर लिया है और
मैं ही खोज रहा हूँ कि पत्ते बोले
अब जो हवा का झोंका आएगा
वह तुम्हे छू कर
उसका पता दे जाएगा
लेकिन
संभाल कर रखना
इस बार।

एक ही बात

कामगार औरतें भी कई तरह की होती हैं
जैसे एक हमारे घरों में आती है, रोज
झाड़ू लगाती है, पोंछा करती है, बर्तन माँजती है
कपड़े धोती है, बचीखुची रोटी निगलती है
शाम को घर चली जाती हैं

जैसे रेज़ा का जो काम करती हैं
वे इंटे ढोती है, हँसती रहती है, मिस्तरी
और मजूरों के मज़ाक पर, काम $खत्म होने पर
हाथ-मुँह धो कर
शाम को घर चली जाती हैं

जैसे ऑफिसों में जो काम करती हैं
उन्हें हम सुखी समझने की $गलती करते रहते हैं
उन्हें कार्यस्थल पर कई नज़रें झेलनी होती हैं
कभी-कभी ओवरटाइम भी करना होता है, वे भी
शाम को घर चली जाती हैं

जैसे घरेलू औरतें, जो घर में ही काम करती हैं
सुबह उठते ही चौके में लगती है, तो मुश्किल से
दोपहर का समय उसका होता है, विषादमय
वे कहीं जाती नहीं, बल्कि लोग लौटते हैं
घर के लोग रात तक, जब वह पसीना पोंछते हुए
फिर लग जाती है, वे भी
रात को और कहीं चली जाती हैं, सबको छोड़ कर

इस तरह आपने देखा होगा, जो इनमें सामान्य
याने कॉमन बात है कि ये सभी शाम रात को
चली जाती हैं, लेकिन और भी एक सामान्य बात है
ये सारी औरतें हैं!




संपर्क - मो. 09933950539, पुरुलिया

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