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अप्रैल 2021

'पहल’ के कुछेक पुराने मुख-पृष्ठों से

'पहल’

'पहल’ के कुछेक पुराने मुख-पृष्ठों से

 

''अपराध एक ऐसा भेडिय़ा है जो अपने बाप को खा चुकने

के बाद अपने बच्चे को भी खाने से नहीं हिचकता/आप

जिस भेडिय़े की बात कर रहे हैं, वह मेरे पिता को पहले

खा चुका है/ तो अब जल्दी ही तुम्हारी बारी आने वाली

है/ और आप, क्या आप भी उस भेडिय़े द्वारा खाये गये

हैं/न सिर्फ खाया गया बल्कि, उगला भी गया।’’

- जेसो सरामागो

1998 के नोबुल विजेता

पुर्तगाल के बड़े साहित्याकार

'पहल-62’

 

* * *

 

''देखो, सच्चाई तो यह है कि मैं आत्मरति से तंग आ गया

हूँ। यहाँ तक कि राष्ट्रवाद भी एक प्रकार की आत्मरति ही

है। पर उसका बचाव किया जा सकता है। कालेपन की

पूजा के हद तक का भाव मुझे खिन्न कर देता है।

मसलन, क्या जो काले नहीं हैं, वे कहीं जाकर डूब मरें।’’

- सेनेगल के महान लेखक और राजनेता

सेंघर के 'दि इंटरप्रेटर्स’ का एक पात्र

'पहल-67’

 

मुझे गुलाबों से सजाओ

मुझे सचमुच

गुलाबों से सजाओ

गुलाब जो दहकते माथे पर

जलकर राख हो जाते हैं।

मुझे गुलाबों से सजाओ,

और सूख जाने वाली पत्तियों से

इतने से काम चल जायेगा

- फर्नान्दो पेसाआ

महान पुर्तगाली कवि

 

माँ मुझे सजाओ

माँ मुझे सजाओ

माथे पर फूल धरो मेरे माँ

बलि बलि जाओ

मुझे सजाओ

- संथाली गीत

'पहल-73’

 

* * *

 

ज़िन्दगी इक आग है, वह आग जलनी चाहिए

बेहिसी इक बर्फ है, उस को पिघलना चाहिए

मौत भी है ज़िन्दगी और मौत से डरना फिजूल

मौत से आँखें मिलाकर मुस्कुराना चाहिए

- इक़बाल एहसान जाफरी

1996

 

(उल्लेखनीय है कि एहसान जाफरी को गुजरात के

साम्प्रदायिक नरसंहार के दौरान गुलाबबाग सोसायटी में उनके

चालीस परिजनों के साथ 2002 में जिन्दा जला दिया गया था)

 

 

फिर आऊँगा मैं धान सीढ़ी नदी के तट पर लौट कर - इसी

बंगाल में हो सकता है मनुष्य बन कर नहीं, संभव है शंख, चील,

मैना के वेश में आऊँ, हो सकता है भोर का कऊआ बन कर

ऐसे ही कार्तिक के नवान्न के देश में कुहासे के सीने पर तैर

कर एक दिन आऊँ - इस कटहल की छांव में हो सकता है

बत्तख बनूँ - किशोरी की - घुंघरू होंगे लाल पाँव में, पूरा

दिन करेगा कलसी के गंध भरे जल में तैरते तैरते, फिर आऊँगा

मैं बंगाल के नदी खेत मैदान को प्यार करने, उठती लहर के

जल के रसीले बंगाल के हर करुणा-सिक्त कगार पर।

- जीवनानंद दास

महान बंग्ला कवि

'पहल-79’

 

 

* * *

 

होशियार हो जाइये

एक खुदकुश नज़्म

आपके आसपास मौजूद है

उसे हाथ न लगाइये

आपका वजूद ख़तरे में पड़ जायेगा

उसे पकडऩे कोई कोशिश न कीजिये

आपकी आँखें तारीक हो जायेंगी

किसी भी हालत में

उसे अपने घर में न रखिये

एक धमाका होगा

और सब कुछ ख़त्म हो जायेगा

- जीशान शाहिल

(नज़्म का अंश)

'पहल-90’

 


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