हाउल : 'चीख' या आर्तनाद?
हाउल महज़ एक 'चीख' है या कई सारी सम्मिलित आवाज़ों की 'चीखें' यह विवेचना का विषय रहा है। लगभग बासठ-तिरसठ वर्ष पूर्व लिखी गयी यह कविता न केवल ऐलेन गिंसबर्ग (1926-1997) की बल्कि बीसवीं सदी की एक 'लैंडमार्क' रचना है, इतिहास बन चुकी है। 'हाउल चीख से ज़्यादा आर्तनाद है। आर्तनाद ही है। बीसवीं सदी के तमाम देशों, खास तौर पर अमेरिका को मद्देनज़र रखकर लिखी गयी 'हाउल' वह सारा कुछ समेट लेती है जिससे अमेरिका जैसे देश को गढ़ा गया, अमेरिका अगर उद्यमियों और उद्योग की जननी है तो वह मोलोक जैसे देव-राक्षसों का भी प्रतीक है जिसकी वेदी पर न मालूम कितने मासूम बच्चों की बलि दी जाती है। यह मोलोक ईंट-गारे, रेत, पत्थर, सीमेंट, लोहा, तेल, पेट्रोल, फैक्ट्रियों, धुआं, बल, सैन्य शक्ति, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, दमन चक्र, अस्त्र-शस्त्र के अस्तबलों, विनाश, हिंसा, विरोध और विरोध के िखलाफ विरोध और विरोध के दमन, दादागिरी, और सबसे बड़ी ताकत उस एक आंख वाले डॉलर (जिसका कविता में जिक्र है) को मिला-जुलाकर, खड़ा किया जाता है। मोलोक की दानवी ताकत से सब कुछ पस्त है। और उसकी यह ताकत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वाले सालों में और बढ़ी, है जिसके फलस्वरूप कुछ ऐसी विरोधी आवाजें पैदा हुई हैं जो एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण कर रही है जिसे जापान, कोरिया, वियतनाम और लाखों जगहों पर अमेरिका के होने पर कोफ्त है, नाराज़गी है, कटुता है, एक ऐसी पीढ़ी है जिसने अमेरिका के हर बुरे पहलू को देखा है, झेला है और जिसे ध्वस्त करने के लिए वह प्रयत्नशील है। इस पीढ़ी ने अच्छे कलाकार, कवि, लेखक, साहित्यकार, सिनेमा, मूर्तिकला, बीट पीढ़ी, एक मुख्तलिफ संस्कारों वाले युवजन, मादक नशे के मद्दाह, बीमारियां, पागल समझे जाने वाले बाहोश लोगों को भी पैदा किया है, और एड्स के भयावह परिणामों को भी भुगता है, और इसके बावजूद एक स्वतंत्र, स्वायत्त, सार्वभौमिक संसार, सत्ता की परिकल्पना भी की है। विश्व युद्ध के लगभग दस साल बाद शुरू की गयी कविता उस दुनिया को उज़ागर करती है जिसे दुनिया ने टुकड़ों टुकड़ों में देखा तो था पर एक ही जगह पर इस तरह मुखरित होते नहीं देखा था। इस कविता में सब तरह के इंसान और स्थितियां हैं और हर तरह से निजी या सामाजिक कारणों से त्रस्त-गरीब, भूखे, नशे पालने वाले, यौन प्रक्रिया के अभिलाषी, दिशाहीन, आत्म-पीड़ा/ग्लानि/आत्मश्लाघा से परिपूर्ण, कविता के कई किरदारों के बावजूद दो किरदार अलग से नज़र आते हैं। एक तो गिंसबर्ग की अपनी मां नेओमी गिंसबर्ग, जिसकी मानसिक उपचार के दौरान मौत हुई थी और जिसने कवि को बुरी तरह झंझोड़कर रख दिया था; और दूसरे, कार्ल सॉलोमन जिससे गिंसबर्ग की ऐसी कोई खास पहचान थी पर जिस तरह वह विक्षिप्तावस्था में मरा, गिंसबर्ग को और भी परेशान कर गया था। और इस सब की परिणति 'हाउल' की शक्ल में हुई। उस समय ज़्यादातर लोगों ने समझा कि ऐलेन गिंसबर्ग की मानसिक स्थिति खराब है, और जो शायद थोड़े ही वक्त का मेहमान है, पिता लुइस गिंसबर्ग को तो लगने लगा था कि ऐलेन अपनी मां की तरह ही खत्म हो जाएगा, किसी पागल खाने में। गिसंबर्ग के परम मित्र और पथ निर्देशक विलियम कार्लोस विलियम्स ने 'हाउल' के परिचय में लिखा : 'मैं तो सोचता था कि यह आदमी कविताएं लिखने के लिए ज़िंदा नहीं बचेगा...' लेकिन ऐलेन गिंसबर्ग ज़िंदा रहा और खूब रहा। अपनी यातनाओं से भरी युवावस्था से उबरकर उसने खूब लिखा यहां तक कि बीसवीं सदी के बेहतरीन लेखकों और दिमागवालों में उस का शुमार होने लगा। अपने काम के बारे में वह कहता : ''यह सब मेरे दिमाग का ग्राफ है।'' 'हाउल' और उसकी बाद वाली अन्य कविताओं में उसके दिमागी विस्तार या मेंटल लैंडस्केप का परिचय मिलता है। उसे वॉल्ट व्हिटमैन की कविता शैली ने बेहद प्रभावित किया; उसे विलियम ब्लेक की दृष्टि से बहुत कुछ सीखने को मिला; उसने उपन्यासकार और कवि मित्र जैक केरुऑक के 'बॉप' गद्य को भी अख्तियार किया; उसने सुदूर पूर्व को करीब से देखा और भारत में लंबा प्रवास किया - बंगाल से बनारस और बनारस से दिल्ली के बीच में पडऩे वाले शहरों में कई कई महीने गुज़रे; श्मशानों में अघोरी पूजा से लेकर भगवान बुद्ध में प्रश्रय लेते हुए ऐसी अनुभूतियां समेटीं जो दिन-ब-दिन उसे कवि और लेखक के रूप में निरंतर विकसित करती गयीं। इसी बीच उसे अमेरिका में 'हाउल' जैसी 'अश्लील' और 'भद्दी' रचना के लिए मुकद्दमों के साथ भी दो-चार होना पड़ा। लेकिन 'हाउल' के प्रकाशन के बाद - जिसे छापने और बड़े पैमाने पर प्रसारित करने का श्रेय कवि-प्रकाशक लॉरेंस फर्लिंघेटी को जाता है - ऐलेन गिंसबर्ग एक बहुत बड़ी हस्ती बन गया। उसकी अन्य महान कविताओं में 'कैडिश', 'ए सुपरमार्केट इन कैलिफोर्निया' और 'अमेरिका' का शुमार होता है, और जिन्हें करोड़ों पाठकों ने चाव से बार-बार पढ़ा है, और चमत्कृत, विस्मित और प्रभावित हुए हैं। ऐलेन गिंसबर्ग ने कभी भी अपनी आत्मकथा नहीं लिखी। ''मेरी कविताएं मेरी आत्मकथा हैं'', वह कहता था ढेर सारे पत्र और डायरियां ज़रूर लिखीं, जिनके छपने से उसे कोई एतराज़ न था। इनमें उसके निजी घनिष्ठतम वािकए हैं, विचार हैं और सब कुछ बेलाग। 'हाउल' बेहद कठिन रचना है, अनुभूतियों और अनुभवों की - अनुवाद, रूपांतर से परे। इस कविता को केवल संदर्भों के सही ज्ञान या अनुमान से ही जाना जा सकता है। गलत या बुरे अनुवाद की जिम्मेदारी का दोष अनुवादक/रुपांतर कार का है, कवि या कविता का नहीं और इस कविता को समझने का दंभ भी वही भर सकता हैं जिसमें एक अच्छे अनुवादक/रुपांतर कार होने का दंभ न हो।
देशांतर लंबी कविता
ऐलेन गिंसबर्ग चीख कार्ल सॉलोमन के लिए
मैंने अपने अज़ीम हमअसरों को गर्क होते देखा है पागलपन में, एक भूखे नंग-धड़ंग उन्माद में अलस्सुबह हब्शी बस्तियों में से पैर घसीटते गुज़रते हुए महज़ नशे की एक खुराक की तलाश में
फरिश्ते हिपस्टर जलते हुए रात की मशीनरी में, सितारों के डायनमो से एक पुरातन दैविक रिश्ता $कायम करने की ललक लिए जो गरीबी चीथड़ों से ढंके नशे में चूर धंसी आंखों वाले बैठे होते थे अलौकिक अंधेरों में डूबे सर्द कमरों के अंदर कश-दर-कश खींचते शहरों की सतह पर तैरते जैज़ का मनन करते हुए
* एल की पनाह लेते हुए जिन्होंने अपने होशो-हवास हवाले (* EL - Elevated train or a Jewish God)
कर दिये थे स्वर्ग को देखते हुए लडख़ड़ाते मुस्लिम इंजिलों को रौशनियों से नहलाइ खोलियों में
जो विश्वविद्यालयों में ठंडी चमकती आंखों से देखते रहे आर्केंसा को नशे में डूबे* ब्लेक की दिव्य दृष्टि को(* william Blake the poet)
त्रासदी में तब्दील होते युनिवर्सिटियों के युद्ध विशारदों द्वारा जिन्हें अकादमियों से निष्कासित किया गया ऊटपटांग अश्लील कसीदे लिखने के लिए अपनी खोपड़ी की खिड़कियों पर
जो गंदे कमरों में घबराए बैठे रहे अपने अंडर वियरों में डॉलरों को आग के हवाले करते हुए कूड़ादानों में सुनते रहे आतंक की आवाज़ें दीवारों के पार से आती हुई
जो अपनी पशम दाढ़ी में पिटते रहे पुलिस वालों से जब लौट रहे थे न्यू यॉर्क मा$र्फत लैरेडो बेल्टों में छुपे गांजे के साथ
जिन्होंने पैराडाइज़ एैली* के घटिया होटलों में (* पैराडाइज़ ऐली एक ज़माने की गरीबों की बस्ती)
रंगों से बनी आग पी या तारपीन की शराब, पायी मौत, स्वर्ग जाने से पहले अपने धड़ों को निष्कलंकित किया हर रात सपनों में, नशे में, झंझोडऩे वाले दु:स्वप्न, शराब और अनगिनत शिश्नों अण्डकोषों से खेलते
अनोखी अंधी गलियों थरथराते बादल और ज़ेहन में कड़कड़ाती बिजली दौड़ती हुई कनाडा और पेटरसन के ध्रुवों की ओर, रौशनी करती जड़ हुई दुनिया समय की बीच में
* पीयोटी के ठोस असर वाले सभागृह, हरियाली से घिरे (* पीयोटी : मैंक्सिको में पाए जाने वाले एक पौधे से हासिल मादक पदार्थ)
कब्रस्तिान के पिछवाड़े की सुबहें, शराब के नशे में छतों पर झूमते, चरस के मज़े लेते जॉय राइड, ट्रािफक लाइटों का चमकना बुझना, सूरज और चांद और वृक्षों का स्पंदन, ब्रुकलिन की दहाड़ती सर्द शामें, कूड़ादानी पीटने का शोर, और दिमाग का दयालु राजा हल्का होते हुए जो बेअंत यात्राओं के लिए बेन्जेड्रिन में मस्त सबवे के डब्बों में बैटरी से पवित्र ब्रॉन्कस तक बने रहे और नीचे उतरे चक्कों और बच्चों के शोर से घबरा कर सूखे हलक और विचार शून्य खोपडिय़ों के साथ चिडिय़ा घर की मरियम रौशनी में नहाते हुए
जो डूबे रहे बिकफर्ड के पनडुब्बिया प्रकाश में और उजाड़ फुगा•ज़ी की दोपहरी में बासी बियर पीते और सुनते हुए विध्वंसी हायड्रोजन के ज्यूक-बॉक्स का संगीत
जो सत्तर घंटों तक लगातार बोलते रहे पार्क से अपने कमरे तक, बार से बेलेव्यू से म्युज़ियम से ब्रुकलिन ब्रिज तक एक हारे हुए आदर्शवादी बातूनियों का लश्कर, छलांगें लगाते फायर एस्केप स्ट्रप्स के, खिड़कियों की देहली से, चांद में जा बसे एंपायर स्टेट इमारत के
बक बक करते चीखते उल्टियां करते फुसफुसाते हुए हकीकतों और यादों और अफसाना बयानी हस्पतालों में मिल बिजली के झटकों और झटके जेलों के और युद्धों के,
जिन की खोपडिय़ां उगलती रहीं दास्तानगोई में भूली यादों को पूरे सात दिन और सात रातों में चमकीली आंखों के साथ, फुटपाथ पर यहूदी पूजा घर को गढऩे के लिए सामानो-असबाब के साथ
जो ऐसे गायब हुए और हो गए लापता ज़ेन न्यू जर्सी में अस्पष्ट पिक्चर पोस्ट कार्ड न्यू जर्सी के अटलांटिक सिटी हॉल का निशान छोड़ते हुए (या) पूरब में कहीं पसीनों से लथपथ और टैंजियर्स (मोरोक्को) की हड्डी-तोड़ और चीनी अधसिरा लेकर नशे को धता बता नवॉर्क के किसी बेढब कमरे में
जो आधी रात को रेलयार्डों में चक्कर पर चक्कर लगाते रहे सोचते हुए कि कहां जाएं, और चले गए, जिससे किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ा जो सिगरेटें फूंकते रहे मालवाहक डिब्बों में सफर करते हुए निर्जन देहातों की ओर रातों को अपना पितामह जाना
जिन्होंने प्लोटिनस पो (एडगर ऐलन) सेंट जॉन ऑफ द क्रॉस और बाप कबालाह टेलीपैथी की गहरी पढ़ाई की थी क्योंकि कैंसास में अंतरिक्ष खुद-ब-खुद उनके पैरों में कंपायमान था
जो आइडाहो की गलियों में ढूंढते फिर रहे थे अलौकिक दृष्टि से लैस मूल इंडियन देवदूतों को जो वाकई अलौकिक दृष्टि वाले इंडियन देवदूत थे जिन्हें अपने पागलपने का एहसास हुआ चमकीली रौशनी में बाल्टीमोर को जगमगाते हुए देखकर जिन्होंने ओक्लाहोमा के एक चीनी आदमी के साथ गाडिय़ों में पनाह ली सर्दियों की मद्धिम स्ट्रीट लाइट में ठंडी बारिश वाली आधी रात से बचने के लिए
जो अकेले भूखे प्यारे ह्यूस्टन में तलाशते रहे जैज़ या जिस्म या सूप पीछा करते हुए उस विलक्षण स्पेनी का अमेरिका और अनंतता के बारे में विवेचना करने के लिए, और जाना कि यह सब बेकार है, इसलिए जहाज़ों में बैठ अफ्रीका को रवाना हो गए
जो विलीन हो गए मैक्सिको के ज्वालामुखियों में अपने पीछे छोड़ गए अपने पतलूनों की परछाइंयां और लावा और राख अपनी जली कविताओं की जिन्हें उन्होंने शिकागो में आग के हवाले किया था जो दोबारा नुमाया हुए वेस्ट कोस्ट में अपनी दाढिय़ों और शॉर्ट्स में एफ.बी.आई. से पूछताछ के लिए अपनी बड़ी बड़ी आंखों में शांत भाव के साथ सांवले सेक्सी नज़र आते और बांटते हुए न समझ में आने वाले पर्चे
जो पूंजीवाद के नशीले धुंधलके के खिलाफ सिगरेटों से अपने बाज़ू दागते रहे
जो नंग धड़ंग उरियांनी में यूनियन स्क्वेयर में सुपर कम्युनिस्ट पर्चे बांटते पुलिस उनके वाहनों के सायरनों से दो दो हाथ करते हुए लॉस अलामोस, वॉल स्ट्रीट में, स्टेटन आइलैंड फेरी के सायरन का विलाप सुनते हुए
जो स$फेद जिमनेसियम (पागलखानों) में रो-रोकर टूट गए कांपते रहे अस्थि पिंजरों की मशीनरी को अपने सम्मुख पाकर
जिन्होंने पुलिस के जासूसों के जिस्मों में दांत गड़ा दिए और खुशी में चीख चीख कर पुलिस गाडिय़ों में बैठ कर इज़हार किया अपनी बेगुनाही समलैंगिकता और नशेड़ीपन का
जिन्होंने सबवे में घुटनों पर टिक कर ची$खें निकालीं और एक इमारत की छत से धक्के मारकर निकाले गए अपने लिंगों और पांडुलिपियों को लहराने हिलाने की कवायद में
जिन्होंने अपने जिस्म संत नुमा मोटर साइकिल सवारों को सौंप दिये और गुदा मैथुन करवाते मारे खुशी के चीखते रहे
जो मानव रूपी इंजिलों, नौसैनिकों के साथ मुख मैथुन करते और करवाते रहे, अटलांटिक, और कैरिबियन छुअन और मुहब्बतों में मुब्तिला होते रहे
जो अजनबियों के साथ सुबह शाम गुलाब के बगीचों और पार्कों और कब्रिस्तानों में फरागदिली से हर किसी पर वीर्य छितराते रहे
जो बेअंत हिचकियां लेकर हंसने की बजाय रोते हुए बाहर आए उन टर्किश हमामों में से जब वह गोरा और नंगा इंजिल अपनी तलवार से उन्हें छेदने आया
जिन्होंने अपने प्रेमी छोकरे गंवा दिये िकस्मत के उन तीन मूज़ियों के हाथों-एक तो वह इंतरलिंगी डॉलर और वह जो कोख से आंख मारता हुआ बाहर आता है और वह एक निकम्मा जो उसके चूतड़ों पर सवार कारीगर के करघे के सुनहरे बौद्धिक धागों को काटता रहता है
जो संभाग में उन्मत्त रहे और बियर की बोतल एक प्रियतमा एक सिगरेट की डिबिया एक मोमबत्ती से असंतुष्ट गिर पड़े पलंग से, फर्श से हॉल तक संभोग करते करते दीवार पर जा बेहोश हो गए कल्पना करते हुए उस परम योनि और स्खलन से बचाते हुए चेतना की उस आिखरी बूंद को
जिन्होंने लाखों योनियों को तर किया कंपकंपाते सूर्यास्त तक, और रतजगा के कारण हुई लाल आंखों के बावजूद तैयार हो गए सूर्योदय को तर करने खलिहानों में चूतड़ों की नुमाइश करते और सरोवर में नंगे खेलते
जो कोलोरेडो में रात को चुराई हुई गाडिय़ों पर सवार हो रंडीबाज़ी करने निकले, एन.सी. (नील कैसेडी), इन कविताओं का गुप्त नायक, औरतबाज़ और डेनवर का अडोनिस - खुश करने वाली उस की यादें अनगिनत कुंवारियों के साथ वीरान जगहों रेस्तोरां के पिछवाड़े, सिनेमा हॉलों की चरमराती कतारें, पर्वत चोटियों गुफाओं या मरियल वेट्रेसों के साथ जानी पहचानी सड़कों के किनारे पेटीकोट ऊपर कर खड़े खड़े और खास कर पेट्रोल पंपों के खुदगर्ज़ मूत्रालयों और अपने शहर की गलियों में भी
जिनके होश बुरी िफल्में देखने में गुम हो गए थे, सपनों से निकले खुद को जगा पाया मैनहैटन और बेसमेंटों में टोके मदिरा का भारीपन और थर्ड ऐवेन्यू के $फौलादी सपने लिए रोज़गार दफ्तरों के चक्करों में
जो रात रात भर पैदल चलते रहे जूतों में खून से लथपथ पैर लिए बर्फ से ढंके बंदरगाह ईस्ट रिवर में इंतज़ार करते उस दरवाज़ें के खुलने जहां भाप की गर्मी और अफीम वाला कमरा मिले
जिन्होंने हडसन नदी के किनारे ऊंची इमारत की चोटी पर आत्महत्या के बड़े नाटक किये युद्धकालीन चांद से नीले फ्लडलाइट की रौशनी में नहाते हुए और जिन्हें गुमनामी में लॉरेल का ताज पहनाया जाएगा
जो भूख से तिलमिलाते हुए कल्पना करते रहे लैंब स्ट्र खाने की या बॉवेरी इलाके की नदियों के गंदे तलहट में मिलने वाले केंकड़ें को हज़म करने की
जो बेघरबार प्याज़ और वाहियात संगीत से भरे ठेले को धकियाते रहे और गलियों की रूमानियत पर िफदा होकर टेसू बहाते रहे
जो अंधेरी रातों में पुल के नीचे गत्ते के डिब्बों में बैठ बैठ कर उठे एक छोटे से आवास में हार्पसीकॉर्ड बनाने की तमन्ना लिए
जो खांसे हार्लेम की छठी मंज़िल में अंगारे की लपटों का मुकुट पहने ट्यूबरक्यूलर आकाश के नीचे धर्म के संतरिया क्रेटों से घिरे
जो रात भर झूमते घूमते लिखते रहे अपनी समझ की ज़बरदस्त कविताएं जिन्हें सुबह के पीलेपन में बकवास पाया गया,
जो भूख से त्रस्त पकाते रहे सड़े जानवरों के फेफड़े दिल खुर पूंछ बोष्र्ट और टॉरटिला चपातियां एक विशुद्ध शाकाहारी दुनिया का सपना देखते हुए,
जो मांस से लदे ट्रकों के नीचे फकत एक अंडे की तलाश करते रहे,
जिन्होंने छतों से अपनी कलाई घडिय़ां उछाल फेंकी समय से इतर अनंतता पाने के लिए, और मरम्मत हर रोज उनके सिरों पर अलार्म घडिय़ों की बौछार करती रही अगले दशक तक
जिन्होंने एक के बाद एक तीन बार कलाई की नसें काट लीं, असफल रहे और पुरानी चीज़ों की दुकानें खोलने पर मजबूर हो गए जिनमें बैठ उन्हें बूढ़े होने का एहसास हुआ और खुद पर रोना आया,
जो मैडीसन ऐवेन्यू में अपने मासूम फ्लैनेल सूटों में जीते जी जल गए ठंडी कविताओं के धमाकों में फैशन की फौलादी झनझनाहट में और विज्ञापन की परियों की नाइट्रोगिलसरीन चीखों में और भयावह समझदार संपादकों के मस्टर्ड गैस की चपेट में आए अज़ीम लोग या संपूर्ण सत्य के नशे में चूर टैक्सियों के नीचे
जिन्होंने ब्रुकलिन ब्रिज से नदी में छलांग लगा दी और ऐसा वास्तव में हुआ और उबर कर वे भूतिया चाइनाटाउन से गुज़र कर आगे बढ़े, और इतनी सारी मुसीबतें झेलने के एवज़ में उन्हें किसी ने एक बियर तक नहीं पूछा
जो उदास से खिड़कियों पर खड़े गाते रहे, सबवे की खिड़की से बाहर गिर पड़े, गंदी पसैक नदी में छलांग लगा दी, कालों पर कूद पड़े, गलियों में रोते फिरते रहे, मदिरा के टूटे गिलासों पर नंगे पैर नाचते रहे, सन 30 के सालों में यूरोपियन जर्मन जैज़ के ग्रामोफोन रिकॉर्ड चकनाचूर कर दिये व्हिस्की खत्म की और गुर्राते हुे टॉयलेट में उल्टियां कीं, कानों में कराहना सुना और विशालकाय स्टीम सीटियों का धमाका
जो अतीत के जाने पहचाने हाईवेज़ पर मारक रफ्तार से गाडिय़ां चलाते तेज गोलगोथा* (* गोलगोथा पहाड़ी पर ईसामसीह को सलीब पर चढ़ाया गया था।)
गाडिय़ों पर जेलों से छूटे साथी से मिलने या बर्मिंघम अलाबामा में जैज़ सुनने पहुंचे
जो सीधे बहत्तर घंटों तक गाड़ी चलाते रहे यह जानने के लिए कि अमरत्व के बारे में मेरे विचार आप के विचार या खुद के विचार क्या थे,
जिन्होंने डेनवर तक का सफर किया, जो डेनवर में मरे, जो डेनवर लौट आए, जो तन्हाई में डेनवर को उदास नज़रों से देखते वहां से निकल गए समय का दर्शन समझने और अब डेनवर अपने नायकों से जुदा अकेली पड़ गयी है
जो हताश निराश चर्चो में घुटनों पर गिर एक दूसरे की मुक्ति के लिए प्रार्थना करते रहे, जब आत्मा ने क्षण भर के लिए एक बात को उजागर किया,
जिन्होंने जेलों की यात्रा की इस उम्मीद से वहां कठोर पेशेवर मुजरिमों के सिरों पर प्रभामंडल दिखेगा और वास्तविकता के आकर्षण ने उनसे अलकतराज़ जेल पहुंचने की ललक में गवाए ब्लूज़
जिन्होंने मेक्सिकों में बस कर नशे का रास्ता अिख्तयार किया, या रॉकी माउंटेन पर बुद्ध का रास्ता पकड़ा या टैंजियर्स में लौंडों से दोस्तियां बढ़ायीं या सदर्न पैसििफक रेलवे पर दोबारा यात्रा करने निकले, या हार्वर्ड जा स्वयं - केंद्रित हो गए, या वुडलॉन कब्रिस्तान में सामूहिक यौनाचार में लग गए या फिर मर गए
जिन्होंने अपने दुरुस्त दिमाग वाले होने के प्रमाण के लिए उचित न्याय मांगा, अभियोग लगाया रेडियो पर वशीकरण का, या पागल बने रहे एक अनिर्णीत जूरी के सामने,
जिन्होंने सिटी कॉलेज ऑफ न्यूयॉर्क में दादावाद पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसरों पर पोटेटो सलाड फेंके और बाद में उस पागलखाने की सीढिय़ों पर सिर मुंडा कर आत्महत्या के मसखरे बयानबाज़ी के बाद दिमाग के पुर्ज़े की मरम्मत के लिए लोबोटोमी की मांग की,
और जिन्हें मनोवैज्ञानिक चिकित्सा के लिए लोबोटामी की बजाय दिये गए इंसुलिन मेट्राज़ोल बिजली जल मनोचिकित्सा सक्रियता पिंगपांग और विस्मृति (के उपचार) जिन्होंने अपने बदज़ायका विरोध का इज़हार करने को प्रतीक स्वरुप पिंगपांग टेबल को उल्टा कर दिया, एक क्षणिक विध्वंस के लिए
सालों बाद जब वे चिकित्सालयों से लौटे तो गंजे थे सिरों पर लोबोटोमी के रक्तिम विग ओढ़े, आंखों में आंसू और घायल उंगलियों के साथ जो पूर्व में रहने वाले असली पागलों को पागल नज़र आते थे,
पिलग्रिम स्टेट रॉकलैंड और ग्रे स्टोन के चिकित्सालयों की महक वाले हॉल, आत्मा की गूंज से लड़ते, झूमते गूंजते मध्यरात्रि में अकेली बेंचों पर खुद से बतियाते, जहां जीने का सपना भी एक दु:स्वप्न है, जिस्मों का पत्थरों में तब्दील हो जाना एक भारी चांद की तरह
मां का अंतिम...., और आिखरी अच्छी किताब का घर की खिड़की से फेंक दिया जाना, और आखिरी कमरे का सुबह चार बजे बंद किया जाना और आखिरी घंटी का जवाब दीवार पर टेलीफोन दे मारना और आखिरी तस्वीर दिमाग में उभरी फर्नीचर की कमरे को $खाली किये जाने के साथ, एक पीले कागज़ से बने गुलाब का अलमारी में टंगे हैंगर पर, और वह भी काल्पनिक, और कुछ नहीं बस थोड़े-बहुत भ्रम की आशा आह, कार्ल तुम महफूज़ नहीं हो मैं महफूज़ नहीं हूं, और अब तुम सचमुच समय के पशु सूप में कैद हो
और जो बर्फीली गलियों में दौड़े इस खयाल के साथ कि दिमाग में कुछ कौंधा था जिसके जादुई रसायन में इस्तेमाल थी अण्डाकार सूची छंद और लर्ज़िश भरा धरातल,
जिन्होंने ख्वाब देखे और मूत्र्त कर दिये समय और स्थान के बीच के अंतराल को बिंबों को आमने सामने रख, और आत्मा के देवदूत को कैद कर दिया दो मूत्र्तों को और जोड़ा बुनियादी, क्रियाओं को और चेतना के संज्ञा और डैश को सनसनी में उछलते कूदते पेटर ऑम्नीपोटेंस एटेरना दिउस (सर्वशक्तिमान पिता सदाशिव) के
गढऩे को एक नया वाक्य विन्यास और माप (कविता द्वारा) खराब गद्य के रू-ब-रू और तुम्हारे सामने खड़े होने के लिए चुप्पी साधे और समझदारी से और शर्मसार हो कांपते हुए, तिरस्कृत पर स्वीकार करते हुए अपनी आत्मा का सच्चापन विचार के उस लय के साथ होने के लिए जो उसके नंगे और अंतहीन माथे में है
जो पागल बेकार और फरिश्ता लय समय में, अनजान फिर भी यहां लिखते हुए जिसे कहना ज़रूरी हो गया हो मौत के बाद आने वाले समय में
जो पुनर्जीवित हो गए जैज़ के भुतहा लिबास में बैंड के स्वर्णसिंही छाया तले अमेरिका की नंगी ज़ेहनियत की तकलीफें दूर करते हुए बुझाने प्यार की प्यास सैक्सोफोन के विलाप से निकलते * एलाई एलाई लम्मा लम्मा सैबेकथनी (मेरे ईश्वर मेरे खुदा तुम ने किस लिए मुझे खुद से दूर कर दिया है।) शहरों से लेकर आखिरी रेडियो तक में सिहरन भरते हुए (* सलीब पर ईसा के आखिरी शब्द)
जीवन की कविता का पूरा हृदय उनके अपने जिस्मों से फाड़कर निकाला गया जिसे हज़ारों बरसों तक खाया जाएगा
(2)
वह सीमेंट और अलुमिनियम का कौन सा स्िफंक्स था जिसने उनकी खोपडिय़ां फोड़ डालीं और उनके मगज़ और सोच को लील गया? मोलोक! निर्जनता! गंदगी! बदसूरती! कूड़ादान और न मिल सकने वाले डॉलर! सीढिय़ों तले चीखते बच्चे! फौजों में बिलखते युवजन! पार्कों में रोते बूढ़े!
मोलोक! मोलोक! दु:स्वप्न मोलोक! प्रेमरहित मोलोक! मानसिकता मोलोक! इंसान को तौलने वाले मोलोक!
जटिलताओं का जेल मोलोक! मोलोक मौत की अलामत (क्रासबोन) प्राणविहीन कारागार दुखों के कांग्रेस! मोलोक जिस की इमारतें ठोस निर्णय हैं! मोलोक युद्ध की वसीह चट्टान! मोलोक स्तब्ध सरकारें!
मोलोक जिस का दिमाग विशुद्ध मशीनरी है! मोलोक जिस के खून में पैसा बहता है! मोलोक जिस की उंगलियां दस फौजें हैं! मोलोक जिसके सीने में नरभक्षक डायनमो बसता है! मोलोक जिसके कान धुंआधार मकबरा है!
मोलोक जिस की आंखें हज़ार अंधी िखड़कियां हैं। मोलोक जिस की गंगनचुंबियां लंबी सड़कों पर अंतहीन जेहोवा की तरह खड़ी रहती हैं! मोलोक जिस की फैक्ट्रियां ख्वाब देख धुंध में टरटराती हैं! मोलोक जिसके धुआं उगलने वाले कारखानें और एंटेना शहरों की ताजपोशी करते हैं
मोलोक जिसे तेल और पत्थर से बेपहनाह मुहब्बत है! मोलोक जिसकी आत्मा में बिजली और बैंक बसते हैं! मोलोक जिस की गरीबी विलक्षणता का भयावह नज़ारा है। मोलोक जिस की िकस्मत पर यौन रहित हायड्रोजन का बादल छाया हुआ है! मोलोक जिस का नाम बुद्धि है!
मोलोक मैं जिस में अकेला हूं! मोलोक मैं जिस में फरिश्तों के सपने देखता हूं! मोलोक में मैं दीवाना हूं! मोलोक जो शिश्न चूसता है! प्रेम विहीन मानवता विहीन मोलोक!
मोलोक जो मेरी आत्मा में पहले ही प्रवेश कर गया! मोलोक मैं जिसमें जागृत हूं जिस्म के बिना! मोलोक जिसने मुझे मेरे कुदरती हर्षोन्माद में त्रस्त कर दिया! मोलोक मैं जिस का त्याग करता हूं! मोलोक में जिस में जागता हूं! आकाश से दौड़ जाता हुआ प्रकाश!
मोलोक! मोलोक! रोबो घरौंदे! अदृश्य उपनगर! खज़ाने पिंजरों के! अंधी पूंजियां! दानवी उद्योग! भुतहा राष्ट्र! अभेद्य पागलखाने! ग्रेनाइट के शिश्न! राक्षसी बंब!
मोलोक को आसमान पर चढ़ाते उन की कमर टूट गयी! फुटपाथ, वृक्ष, रेडियो, टन! शहर को परवान चढ़ाया जो हमारे चारों और नज़र आता है!
दृष्टियां! मनहूस चिन्ह! दु:स्वपन! चमत्कार! हर्षोन्माद! अमेरिकी नदी में बह गया सब कुछ सपने! स्नेह! प्रकाश! धर्म! संवेदनशीलता ये सब लादा गया झूठ के जहाज़ पर कुछ भी नया! नदी में! तिजारत सलीबों की! बाढ़ में गर्क! ऊंचाइयां! शिशु ईसा के उजागरी क्षण! निराशाएं! दस सालों की पशु चीखें और आत्मघात! सोच! नया प्यार! पागल पीढ़ी! सब कुछ गर्क समय की चट्टानों पर!
नदी में वास्तविक पवित्र कहकहे! उन्होंने सब देखा! विस्मय से भरी आंखों ने! पवित्र चीखें! उन्होंने विदाई ली! छतों से छलांग लगा दी! एकांत के लिए! अभिवादन में हाथ हिलाते! हाथों में फूल लिए! नीचे नदी की ओर! सड़क की ओर!
(3)
कार्ल सॉलोमन मैं तुम्हारे साथ हूं रॉकलैंड में जहां तुम मुझ से ज़्यादा पागल हो मैं रॉकलैंड में हूं तुम्हारे साथ जहां तुम्हें अजीब लग रहा होगा मैं तुम्हारे साथ रॉकलैंड में हूं जहां तुम मेरी मां की छाया में हो हूबहू रॉकलैंड में हूं तुम्हारे साथ जहां तुम ने बारह सेक्रेटरियों का कत्ल किया है मैं साथ ही हूं तुम्हारे रॉकलैंड में जहां तुम इस अदृश्य मज़ाक पर हंसते हो मैं रॉकलैंड में हूं जहां हम दोनों महान लेखक साथ हैं उसी खस्ता हाल टाइप राइटर पर तुम्हारे साथ मैं रॉकलैंड में हूं जहां तुम्हारी हालत गंभीर है और यह खबर रेडियो पर है मैं हूं रॉकलैंड में तुम्हारे साथ जहां खोपड़ी के तंतु समझ के कीड़ों को घुसने नहीं दे रहे रॉकलैंड में हूं जहां तुम यूटिका की कुंवारियों के स्तनों से चाय पीते हो मैं रॉकलैंड में तुम्हारा साथ दे रहा हूं जहां तुम नर्सों के शरीरों का ज़िक्र करते हो कैसी हैं बदज़नी पैदा करने वाली ब्रॉन्कूस की बददिमाग औरतों मैं तुम्हारे साथ रॉकलैंड में हूं जहां तुम स्ट्रेटजैकेट में गिरफ्त चीखते हो हारते हुए रसातल के असली पिंगपांग के खेल को मैं तुम्हारे साथ रॉकलैंड में हूं जहां तुम न बजने वाला पियानो बजाना चाहते हो आत्मा मासूम है अनश्वर है और जिसे अनीश्वरता के साथ सशस्त्र पागलखाने में मरने नहीं दिया जाना चाहिए मैं रॉकलैंड में तुम्हारे साथ हूं जहां और पचास झटकों के बाद भी तुम्हारी आत्मा अपनी देह में वापस नहीं लौटने वाली और शून्य में सलीब की तीर्थयात्रा से नहीं रुकने वाली
मैं तुम्हारे पास हूं रॉकलैंड में जहां तुम अपने डॉक्टरों पर पागलपन का इलज़ाम लगाते हो और प्लॉट बनाते हो यहूदी समाजवादी क्रांति का फासीवादी राष्ट्रीय गोलगोथा के खिलाफ
मैं रॉकलैंड में हूं साथ तुम्हारे जहां तुम लॉन्ग आइलैंड की जन्नत के टुकड़े करोगे और अपने जिंदा इंसानी ईसा मसीह को पुनर्जीवित करोगे अतिमानव मकबरे से निकाल कर
मैं रॉकलैंड में तुम्हार साथ हूं जहां पच्चीस हज़ार पागल कॉमरेड हैं समवेत स्वर में इंतरनाश्योनाले के आखिरी पदों को गाते हुए
मैं रॉकलैंड में तुम्हारा साथ दे रहा हूं जहां हम संयुक्त राज्य अमेरिका से गले मिलते हैं मुख चूमते हैं अपनी चादरों के नीचे संयुक्त राज्य जो सारी रात खांसता रहता है और हमें सोने नहीं देता
मैं तुम्हारे साथ रॉकलैंड में हूं जहां हम जागते हैं झटके खाकर कोमा से बाहर आ अपनी आत्माओं के हवाई जहाज़ों में छत पर से गुज़रते देवदूती बंब गिराते हुए अस्पताल अपनी जगमगाहट में रौशन काल्पनिक दीवारें ढहती हैं ओ पिद्दी सैनिकों बाहर को दौड़ो ओ सितारों वाले झंडे दयारुपी झटके निरंतर चलने वाला युद्ध यहां है ओ विजयी पराक्रमी अपने अण्डरवियर भूल जाओ हम आज़ाद हैं
मैं तुम्हारे संग रॉकलैंड में हूं मेरे सपनों में तुम चल रहे हो समुद्र यात्रा के बाद भीगे हुए हाईवे पर अमेरिका इससे उस छोर तक आंसुओं में मेरी कुटिया के दरवाज़े तक इस पश्चिमी रात में
सान फ्रांसिस्को 1955-56 अनुवादक/रुपांतरकार : देवेन्द्र मोहन
देवेन्द्र मोहन की 1950 में मुम्बई में पैदाइश। पारिवारिक पृष्ठभूमि पेशावर और लाहौर। शानदार पिता जो रायल एयर फोर्स में पायलट थे और मंटो, सहगल, जवाहरलाल नेहरू से मैत्री रखते थे। देवेन्द्र मोहन की पहली रचना 16 वर्ष की आयु में छपी, बाद में हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपते रहे। 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे हैं। फ्री प्रेस जनरल, ऑन लुकर, बिल्ट्ज तथा ईनाडु में नौकरी करने के अलावा काफी वक्त बिजनेस इंडिया के वरिष्ठ संपादक रहे। इन दिनों स्वतंत्र लेखन तथा पत्रकारिता। अंग्रेज़ी में एक उपन्यास 'द मीन ऐलीज़' भी पूरा किया जो अप्रकाश्य है। ऐलेन गिंसबर्ग की कविताओं के बहुसंख्यक संदर्भ भी एकत्र किये हैं। संपंर्क मो - 09702399344, मुम्बई
ऐलेन गिंसबर्ग अमेरिका के गहरे रूप से विवादास्पद और सिरमौर कवियों में प्रमुख हैं। सातवें दशक में जब संसार के अनेक सांस्कृतिक भू भागों में तब्दीलियां और प्रतिरोध हो रहा था, वे अमेरिका के बाहर भी पढ़े और जाने गये। अन्तत: अमेरिका के उस समाज ने जहां हर चीज की रेटिंग देने का आज एक पूंजीवादी चलन है, उन्हें बड़े कवि के रूप में स्वीकृत किया। पहल की दूसरी पारी में हमने लगभग संकल्प लिया था कि गिंसबर्ग की लंबी कविता 'हाउल' को हिन्दी पाठकों के लिए उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए कई लोग तैयार हुए पर उनके आश्वासनों ने दम तोड़ दिया। यह पर्याप्त बोलती हुई लेकिन एक कठिन कविता है। इसके वाक्यों की लय को बचाना बस समझिये कि डूब के जाना है। अन्तत: हम हारे नहीं और अमरीकी समाज की तीखी आलोचना करने वाली इस कविता का अनुवाद हमने तैयार करवा लिया। बड़ी कविताओं का मुकम्मल पाठ तभी हो पाता है जब उसके कई अनुवाद किये जायं। हम इसकी उम्मीद करते हैं। अमेरिका ने अपने बच्चों के साथ क्रूरता, अमानवीयता, दमन, बंधन और शूटिंग के अनेक दौर देखे हैं। यह कविता उस के विरुद्ध एक चीख है; अट्टहास, विलाप, आक्रोश, आत्र्तनाद, गर्जना और सुलगता हुआ नारा है। यह कविता अमरीका की सच्चाईयों के साथ पूरी तरह जीवन्त है। अमरीकी आत्मा के इतिहास की वाल्ट विटमैन जैसी उज्जवलताओं के समांतर उसकी दरिन्दगी का दर्पण भी इस कविता में झलकता है; यह आज 2018 में भी अधिक बदसूरती के साथ बहुमुखी दिखता है। बल्कि वह अमरीका की भौगोलिक सीमाओं को तोड़कर दूसरी जगहों में भी पहुँच रहा है। अब हिन्दुस्तान में भी वह बर्बरता अधिक रावणपने के साथ उभर रही है।
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