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जुलाई - 2017

रचनाकार

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राजेन्द्र लहरिया- राजेन्द्र लहरिया वरिष्ठ कहानीकार हैं। संयोग यह है कि 'पहल' में उनकी यह पहली कहानी है। 1955 में जन्मे लहरिया ग्वालियर अंचल से आते हैं। तीन कहानी संग्रह और पाँच उपन्यासों के वे चर्चित धनी हैं। अन्यत्र सभी जगह प्रकाशित हैं। शौकिया चित्रांकन भी करते हैं। मो. 09827257361

मधुरेश- मधुरेश हिन्दी के शीर्ष आलोचकों में हैं और कथा की आलोचना में वृहत रूप में प्रकाशित हैं। उनका सर्वाधिक ताज़ा और महत्वपूर्ण ग्रंथ 'शिनाख्त' है। यहाँ पर मधुरेश ने अपने साथी मोहदत्त के ऊपर एक संस्मरण लिखा है। पहल के एक विशेषांक में आज से 35 वर्ष पूर्व मोहदत्त का एक लेख 'वाम कविता का सौन्दर्य शास्त्र' छपा था। उत्तरप्रदेश के पश्चिमी अंचल में मधुरेश, प्रदीप सक्सेना, मोहदत्त, उर्मिलेश, ब्रजेन्द्र अवस्थी, प्रभात मित्तल और सव्यसाची आदि अनेक धुरंधर वामपंथी लेखक, पत्रकार, अध्यापक पैदा हुए, उसमें मधुरेश और प्रदीप सक्सेना अभी तक सक्रिय हैं।

विनय कुमार- मनोचिकित्सा में एम.डी. विनय कुमार के दो कविता संग्रह, ''आम्रपाली और अन्य कविताएं'' तथा ''मॉल में कबूतर'' उपलब्ध हैं। आप 'मनोवेद डाइजेस्ट' नाम से एक विशिष्ट पत्रिका के संपादक भी हैं, पटना में रहते हैं और पिछले दिनों, उन्होंने जबलपुर में 'पहल व्याख्यानमाला के अन्तर्गत एक दुर्लभ व्याख्यान भी दिया था। मुक्तिबोध पर उनका एक ज़रूरी व्याख्यान भी काफी चर्चित है। मेल-स्र1.1द्बठ्ठड्ड4द्मह्वञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व

अल्पना सिंह- अल्पना सिंह आलोचना में प्रवेश ही कर रही हैं। पहल में पहली बार। पहल सम्मान से सम्मानित उदयप्रकाश के दो कविता संग्रहों पर आज के सत्ता परिदृश्य में लिखा है। लखनऊ में पढ़ाती हैं। मो. 09450907069

डॉ. श्रीराम लागू- देश के प्रमुख नास्तिकों में शुमार श्रीराम लागू 100 से अधिक फिल्मों और तकरीबन 40 नाटकों में अभिनय कर चुके हैं। आप प्रख्यात नाटक 'नट सम्राट' के पहले जानदार नायक बने। लागू को फिल्म फेयर अवार्ड, कालिदास सम्मान और संगीत नाटक अकादमी की वरिष्ठ फेलोशिप मिल चुकी है।वैज्ञानिकता के प्रबोधन के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं।

तरुण गुहा नियोगी- तरुण मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ में सक्रिय हैं। एफ्रो एशियन युवा लेखकों के सम्मेलन (ढाका) में भागीदारी भी की। बांग्ला और अंग्रेज़ी से अनुवाद किये हैं। अंग्रेज़ी में उच्च शिक्षा प्राप्त तरुण शिक्षक हैं और जबलपुर में रहते हैं। 09425857009

जसिंता केरकेट्टा- जसिंता केरकेट्टा कम समय में अपनी सृजनात्मक पहचान बना सकी हैं। उनकी कविताओं में आदिवासी समाज के मनोभाव स्पष्ट दिखते हैं। विशेष रूप से आदिवासी स्त्री के लिए उनके आग्रह स्पष्ट हैं। जसिंता की समान अंग्रेज़ी-हिन्दी पाठ में एक संग्रह 'अंगोर' प्रकाशित है। मो. 09250960618

रुचि भल्ला- रुचि भल्ला का जन्म इलाहाबाद का है। उनकी कविताओं में इलाहाबाद से पीछा नहीं छूटा है। इन दिनों वे औद्योगिक कस्बे फलटन में रहती हैं जो महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में है। रुचि प्रगतिशील मूल्यों और आग्रहों से मेल खाती हैं। कई महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशन; पर पहल में पहली बार। अभी तक स्वतंत्र संग्रह नहीं आया है। मो. 09560180202

योगेन्द्र आहूजा- योगेन्द्र आहूजा 'पहल' के प्रिय कथाकार हैं। उनकी अनेक चर्चित कहानियां पहल में छपी हैं। कहानी रचना में उनकी राह अलग और अकेली है। कम लिखते हैं और प्राय: लम्बी कहानियां ही लिखते हैं। एक बैंक अधिकारी हैं और अब साहिबाबाद में स्थायी रूप से रहते हैं। मो. 07838632713

सूरज पालीवाल- सूरज पालीवाल महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और 'पहल' में एक समीक्षा सिरीज़ कर रहे हैं। मो. 09421101128

मंगलेश डबराल- मंगलेश डबराल देश देशांतरों में एक प्रिय हिन्दी कवि के रूप में प्रतिष्ठित। पिछले दिनों जर्मनी में उनकी एक वाल बनाई गई। 'पहल-सम्मान' से सम्मानित। यहाँ पर पाठक उनकी ताज़ा कविताएं पढ़ेंगे। मो. 09910402459

लक्ष्मेन्द्र चोपड़ा- लक्ष्मेन्द्र चोपड़ा पहल की बड़ी यात्रा के सक्रिय सहयोगी हैं। अभी कुछ ही अंकों पहले उन्होंने रेड इंडियनों पर एक संस्मरण पहल के लिये लिखा था। वे भारतीय सूचना प्रसारण सेवा में बड़े कल्पनाशील काम करने वाले अधिकारी रहे हैं। सेवा निवृत्ति के बाद जयपुर में ठिकाना बनाया है। इस बार लक्ष्मेन्द्र बड़े पंजाबी कथाकार गुरदयाल सिंह से एक संवाद लेकर आए हैं। गुरदयाल सिंह का पहल से गहरा नाता रहा है। उन्हें सोवियत लैण्ड, ज्ञानपीठ भी मिला है। उन्हें पंजाबी भाषा का प्रेमचंद भी कहा जाता रहा है। अभी कुछ ही अर्से पहले इस बड़े कथाकार का निधन हुआ है। मो. 07665006649

यादवेन्द्र- यादवेन्द्र लम्बे समय तक रुड़की आईआईटी से सम्बद्ध रहे। विश्व साहित्य में जहाँ भी सक्रिय और मानवतावादी लेखन हुआ है वहाँ उनकी दृष्टि रहती है। उनका प्रस्तुतीकरण, अनुवाद, चयन सभी कुछ गौरतलब है। मो. 01332203259

शेखर पाठक- महान यात्री और साहित्यकार राहुल को लगभग विस्मृत किया जा रहा है। उनकी दुर्लभ कृतियां नयी पीढ़ी को अब सरलता से उपलब्ध नहीं हैं। राहुल की परम्परा को सही अर्थों में शेखर पाठक ने बचाया और समृद्ध किया है। हिमालय की लम्बी और कठिन तिल तिल यात्रा के दस्तावेज़ तैयार करने वाले शेखर पाठक सीधे तौर पर राहुल की परम्परा से जुड़ते हैं। उन्होंने हिमालय को धर्मान्धों और अज्ञानियों से मुक्त करते हुए शानदार जनजीवन से जोड़ा है। वे अनोखी पत्रिका 'पहाड़' के संपादक हैं और चिपको आंदोलन तथा 20वीं सदी के जंगल आंदोलनों पर बड़ा अध्ययन करने वाले पंडित हैं जो महापंडित की राह पर चल रहा है। उनके अध्ययन का प्रकाशन भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान और वाणी के संयुक्त उपक्रम से प्रकाश्य है। शेखर पाठक हमारी भाषा के एक अत्यंत विश्वसनीय पर्यावरणविद् और यात्री हैं। उनकी रचनाएं महा प्रस्थानेर पथ का दर्पण होंगी।

अविनाश मिश्र- युवा कवि और आलोचक। पहल के स्थायी लेखकों में प्रमुख। मो. 09818791439

 वसंत त्रिपाठी- युवा आलोचक, कवि, कथाकार बसंत त्रिपाठी एक सक्रिय अध्यापक हैं। छत्तीसगढ़ से आकर नागपुर (विदर्भ) में लंबे समय से रहते हुए उन्होंने शहर में अपनी गहरी पहचान बनाई है।

संजय आनंद- पिछले बीस वर्षों से ग्राफिक डिज़ायनिंग का काम करने वाले संजय आनंद पहल के कला समूह के एक अनोखे सहयोगी हैं। अभी तक पहल के मुख पृष्ठों की डिज़ायनिंग करते रहे हैं। उनकी आधुनिक कला दृष्टि विलक्षण है। इस बार पहल का आवरण संजय ने बनाया है।


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