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जुलाई - 2017

कुछ पंक्तियां

ज्ञानरंजन

 

पहल के आगामी अंकों और भावी प्रयासों के बारे में हम सरसरी तौर पर कुछ $खबरें और सूचनाएं पाठकों के साथ साझा करना चाहते हैं। यह इसलिए कि रचनाकारों और पाठकों को अपना सहयोग अपना फीडबैक देने में सहूलियत रहे। जैसा पहले भी हम अवगत करा चुके हैं कि 'पहल' के संपादन में एक विस्तृत समूह की भागीदार रहती है। सबसे पहले हम आगाह करेंगे कि लंबी रचनाएं, किसी भी विधा की और किसी भी लेखक की, अब पहल में जगह नहीं पा सकेंगी। यह अंतिम अंक है जिसमें योगेन्द्र आहूजा और राजेन्द्र लहरिया की पर्याप्त लंबी कहानियां जा रही हैं। पिछली पारी में हम लंबी रचनाएं पहल पुस्तिकाओं के जरिये छापते थे और कई दुर्लभ पुस्तिकाएं प्रकाशित हो सकीं। अब हमारी आर्थिक हैसियत वैसी नहीं है और हमें स्पेस बचाकर नए रचनाकारों को भी जगह देनी है। दूसरे पहल का आकार अब अपेक्षाकृत छोटा है, पहले जैसा नहीं है। इसलिए लंबी रचनाएं न भेजें। हमें अफसोस है कि मुक्तिबोध पर दो विस्तृत विनिबंध अमिताभ राय और ओम भारती के हम चाह कर भी नहीं छाप सके अब वे अन्यत्र छपेंगे।
लेकिन मौलिक, अद्वितीय, विलक्षण और विख्यात के बारे में हमारा रुख लचीला हो सकता है। जैसे हमारा एक स्वप्न है कि अमरीकी कवि एलेन गिंसबर्ग के 'हाउल' और 'अमेरिका अमेरिका' जैसी बड़ी कविताएं छापें। इनके अनुवाद एक प्रवीण अनुवादक, दुर्लभ कविताओं के संग्रहकत्र्ता मुंबई में हमारे लिए कर रहे हैं। मैथिली भाषा के बड़े लेखक, अनुवादक और कवि हरे कृष्ण झा (जो लंबी बीमारियों से जूझ रहे हैं) पहल को शीघ्र अपने नोट्स, अनुवाद, जर्नल और कविताएं उपलब्ध कराएंगे। यह सिलसिला उन्होंने प्रारंभ कर दिया है। गंभीर वामपंथी और सक्रियताओं के धनी वे एम्स से छुट्टी पाकर यह काम कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने महान अमरीकी कवि विट्मैन की कविताओं का एक भव्य अनुवाद मैथिली में प्रकाशित किया है।
जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी पिछले वर्ष माच्चू पिच्चू सभ्यता के अवशेषों  को देखने देशाटन पर गये थे। उनके संस्मरण भी पहल में आ सकते हैं। आपको विदित होगा कि स्व. नीलाभ ने तीन दशक पूर्व पहले के लिए पाब्लो नेरुदा की इस लंबी और विश्वविख्यात कविता का अनुवाद किया था और हमने उसे छापा था। इसलिए पहल में ओम थानवी की यायावरी पठनीय हो सकती है।
बड़ी फलक की लेखिका अरुन्धति राय केवल उपन्यासकार नहीं हैं, वे उदार वाम की प्रवक्ता भी हैं। सत्ता, जो मूल स्थापनाओं से भटक कर जन विरोधी कार्यक्रमों में लिप्त है, उसके विरुद्ध एक प्रबल प्रतिरोध की लड़ाई भी लड़ रही हैं। उनके हाल ही में आए नए उपन्यास का बिना किसी शोर के स्वागत हो रहा है। अरुन्धति मंचों, सभागारों और सार्वजनिक अवसरों से प्राय: दूर रहकर खामोशी के साथ अपना काम कर रही हैं। अगले अंक में पाठकों को हम उनका एक साक्षात्कार पढऩे के लिए उपलब्ध करेंगे।
साक्षात्कारों की श्रृंखला में लगभग मौन रहने वाले मराठी के शीर्षस्थ नाटककार महेश कुंचवार का साक्षात्कार और उनकी कतिपय अप्रकाशित रचनाएं पहल में शीघ्र आयेंगी। पाठकों, साक्षात्कारों के सिलसिले में कवि, आलोचक और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी का साक्षात्कार अविनाश मिश्र ले रहे हैं। अविनाश ने पिछले दिनों भारंगम की रिपोर्टिंग में अपना दमखम दिखाया था। महान कला गुरु ए. रामचन्द्रन (उम्र-85) और विदुषी कपिला वात्स्यायन के साक्षात्कार भी हम हासिल कर चुके हैं।
पहली बार राजेन्द्र लहरिया का वृत्तांत पहल में प्रकाशित हो रहा है। इस अंक में उदयप्रकाश की कई कविताएं जा रही हैं। 'छप्पन तोले की करधन' कहानी के बाद पहल में यह उनकी नई शुरुआत है। सुखद सूचना यह भी है कि दस वर्ष के बाद उदयप्रकाश की कोई कहानी पहल के आगामी अंक में आ रही है जो हमें हासिल हो चुकी है। अमिताभ राय उदयप्रकाश की कहानियों पर एक नया पाठ भी उसी अंक में प्रस्तुत करेंगे।
इस अंक में मंगलेश डबराल की ताज़ा कविताओं और योगेन्द्र आहूजा की लंबी कहानी का आस्वाद पाठक लेंगे। सेवा निवृत्त होने के बाद भी राजेन्द्र धोड़पकर अपनी कार्टून श्रृंखला से अमूल्य योगदान कर रहे हैं। इस बार ''किस्सा जानकीरमण पाण्डे'' (अंक-107) पर कथाकार रमेश उपाध्याय और कवि राजेश जोशी की प्रतिक्रियाएं भी पाठक पढ़ेंगे। मुक्तिबोध शताब्दी के मध्य युवा विचारक अच्युतानंद मिश्र का एक विशेष लेख यहाँ दिया गया है जो नये बिंदुओं से मुक्तिबोध को प्रकाशित करता है।
कृतज्ञता के अन्तर्गत सुप्रसिद्ध मराठी-हिन्दी पत्रिका 'सुधारक' पर एक टिप्पणी युवा आलोचक-कथाकार बसंत त्रिपाठी ने की है जो इस विलक्षण पत्रिका के पटाक्षेप के अवसर पर लिखी गई है। और अंत में पहल के स्थायी लेखक शिवप्रसाद जोशी की शुरुआत में की गई टिप्पणी को पाठक पहल की 'कुछ पंक्तियों' यानी संपादकीय का एक हिस्सा मान कर पढ़े।
बड़े काम को पूरा करने में अत्यधिक व्यस्त हमारे साथी राजकुमार केसवानी उर्दू रजिस्टर नहीं कर पाए हैं। पाठक प्रतीक्षा करें।


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