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अक्टूबर 2015

लेखक परिचय

लेखक परिचय



कर्मेन्दु शिशिर
नवजागरण पर महत्वपूर्ण काम करने वाले कृतिकार। इन दिनों उर्दू और मुस्लिम नवजागरण पर एक वृहत् ग्रंथ तैयार कर रहे हैं। पटना निवासी कर्मेन्दु ने लंबे समय तक अध्यापन किया। कभी सक्रिय राजनैतिक कार्यकर्त्ता भी रहे हैं। मो. 09431221073
रणेन्द्र
पिछले अंक से आदिवासी जीवन और संस्कृति पर विमर्श शुरू करने वाले रणेन्द्र मशहूर कथाकार हैं और झारखण्ड की राजधानी रांची में रहते हैं। मो. 09431114935
बाबुषा कोहली
पिछले तीन चार वर्षों में तेजी से उभरती बाबुषा ने हिन्दी संसार में महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करायी है। उनकी कविताओं का फलक बड़ा है और उसमें एक भौतिक नयापन है। बाबुषा कोहली को 2014 का ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार दिया गया है और ज्ञानपीठ ने ही उनका पहला संग्रह 'प्रेम गिलहरी दिल अखरोट' प्रकाशित किया है। आप जबलपुर में रहती है और केन्द्रीय स्कूल में शिक्षक हैं। मो. 9981197686
रामचंद्र ओझा
बिहार के बक्सर जिले से संबंध है। दर्शन के अध्यापन से सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर भौतिक रूप से सोचने समझने और लिखने में रुचि। कुछ आलेख पिछले दिनों गंभीर रूप से चर्चित। सेवा निवृत्त होकर रांची में रहते हैं और स्वतंत्र लेखन करते हैं। मो. 09431382176
बृजमोहन आर्य
40 वर्षीय बृजमोहन मुरैना (म.प्र.) के मूल निवासी हैं। आपने ग्वालियर और खैरागढ़ में ललित कला का अध्ययन किया और उच्चतर उपलब्धियां हासिल कीं। कर्नाटक (गुलबर्गा) में पहली एकल प्रदर्शनी के बाद पिछले दस वर्षों में देश भर की विख्यात कला दीर्घाओं में समूह कला प्रदर्शनों में भागीदारी की। फ्यूजन ग्रुप ऑफ आर्ट, दिल्ली के संस्थापक सदस्य हैं। भारत भवन, मध्यप्रदेश कला परिषद की प्रदर्शनियों में भागीदारी की और बड़ी संख्या में चित्र बनाये। विख्यात कला समीक्षक केशव मलिक ने बृजमोहन की कला के अंतरंग और बहिरंग पर विस्तार से टिप्पणी की है और कहा है कि इस कलाकार ने संकुचित आत्म की अभिव्यक्ति की जगह एक आलोचनात्मक वस्तुपरकता अपने चित्रों में विकसित की है। वे मानते हैं कि बृजमोहन की कला में औत्सुक्य है और एक उच्चतर अनुशासन जिसकी वजह से वे संभावनाशील कलाकार बन गये हैं। ग्वालियर, इंदौर के बाद इन दिनों आप जबलपुर में निवास कर रहे हैं और तेजी से नये कैनवास पर काम कर रहे हैं। मो. 09826838863
अविनाश मिश्र
साहित्यिक पत्रिका 'पाखी' के उपसंपादक अविनाश का काव्यालोचन एक नई कोपल की तरह उभर रहा हैं। कठिन अतीत और कठिन वर्तमान के बीच अविनाश एक होलटाइमर की तरह मुठभेड़ कर रहे हैं। वे इसके बाद अष्टभुजा शुक्ल और कुमार अंबुज पर लिखेंगे। 'पहल' में पहली बार। पहल उनको रेखांकित करता है। मो. 09818791434
जितेन्द्र भाटिया
कथाकार और विचारक जितेन्द्र भाटिया 'पहल' के पुराने साथी लेखकों में सर्वोपरि। 'इक्कीसवीं सदी की लड़ाईयां' एक लोकप्रिय और प्रबोधन करने वाला स्तंभ। जितेन्द्र मुम्बई  आईआईटी के होनहार छात्र रहे हैं। लंबे समय तक मुम्बई में रहने के बाद इन दिनों जयपुर में रहते हैं और स्वतंत्र लेखन करते हैं। कुछ समय 'पहल' के संपादन से भी जुड़े रहे। मो. 09460885550
विमलेश त्रिपाठी
वर्तमान में कलकत्ता निवासी विमलेश त्रिपाठी बक्सर बिहार के एक गांव हरनाथपुर से आते हैं। अभी परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स में कार्यरत हैं। अपनी उच्चतर पढ़ाई प्रेसीडेंसी कॉलेज से की है। भारतीय ज्ञानपीठ से उपन्यास और कहानी संग्रह प्रकाशित है और कविता की तीन किताबें भी छप चुकी हैं। पहल में पहली बार। मो. 09088751215
बल्लीसिंह चीमा
उत्तराखण्ड में जन कवि के रूप में बल्लीसिंह की प्रसिद्ध है। ऊधमसिंह नगर में रहते हैं। पर्याप्त प्रकाशित और लोकप्रिय बल्लीसिंह चीमा की दो किताबें अभी 2014 में ही आई हैं।
मृत्युंजय तिवारी
बिहार के बक्सर जनपद से आते हैं। 'सारिका' से लेकर 'नया ज्ञानोदय तक प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। 'पहल' में पहली बार। किसान आत्महत्याओं की ठोस पृष्ठभूमियों पर 'सल्फास' लिखी गई है। दुर्गापुर इस्पात कारखाने में तकनीशियन रहे हैं। मो. 09434536518
मनीषा कुलश्रेष्ठ
जोधपुर की पैदाइश 26 अगस्त 1967 को। मशहूर और चर्चित कथाकार। 'शिगाफ़', 'शालभंजिका' और 'पंचकन्या' आपके उल्लेखनीय उपन्यास हैं। 5 कहानी संग्रह प्रकाशित हैं। नौवें विश्व हिन्दी सम्मेलन (जोहांसबर्ग) में शिरकत की।  वर्तमान में स्वतंत्र लेखन करते हुए इंटरनेट की पहली हिन्दी वेब पत्रिका 'हिन्दी नेस्ट' का संपादन। manishakuls@gmail.com
रूबीना सैफ़ी
लिखना आरंभ किया है। नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिन्दी की पढ़ाई कर रही हैं। कैम्पस में नाटक करना उनकी रूचि का काम हैं।  मो. 09968785404
प्रणय कृष्ण
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर हैं। जन संस्कृति मंच के महासचिव। हिन्दी आलोचना में सक्रिय और गंभीर हस्तक्षेप किया है।
प्रभात
प्रभात राजस्थान के करौली जिले से आते हैं। प्रभात ने जीवन के उन तत्वों से कविता बनाई है जो प्रत्यक्षत: काव्योचित नहीं लगते। जीवन के सर्वाधिक निष्ठुर, रुखे और अवरोध प्रसंगों को वे कविताओं में बदलते हैं। लोक तत्व प्रभात की कविताओं का प्राण है। साहित्य अकादमी ने उनका एक संग्रह ''अपनों में नहीं रह पाने का गीत'' 2014 में प्रकाशित किया है। प्रभात ने राजस्थान की अनेक दुर्लभ बोलियों का दस्तावेजीकरण किया है और कथाकार सत्यनारायण पर एक मोनोग्राफ भी तैयार किया है। इन दिनों सवाई माधोपुर में रहते हैं।मो- 094601 13007
देवेन्द्र आर्य
पहल में तीसरी बार प्रकाशित देवेन्द्र आर्य की पैदाइश जून 57 की है चार दशकों से लिख रहे हैं। कविताओं का नया संग्रह 'प्रयोगशाला में पृथ्वी' शीघ्र प्रकाश्य है। जन आंदोलनों में गहरी हिस्सेदारी, नुक्कड़ नाटक का लेखन और प्रदर्शन गोरखपुर में किया। सुप्रसिद्ध गीतकार देवेन्द्र कुमार बंगाली की अप्रकाशित रचनाओं का संपादन इन दिनों कर रहे हैं। ग़ज़लों पर विस्तार से काम कर रहे हैं, उसमें उनकी गहरी दिलचस्पी है। मो. 09794840990
चन्द्रभूषण
आजमगढ़ के गांव मनियारपुर में 1964 का जन्म। आजमगढ़ और इलाहाबाद में पढ़ाई पूरी की। विज्ञान और दर्शन में गहरी दिलचस्पी और 12 वर्ष तक पॉलिटिकल होलटाइमर के रूप में दिल्ली में रहे। 'समकालीन जनमत' से भी जुड़े रहे। इन दिनों नवभारत टाइम्स के संपादकीय पृष्ठ पर काम कर रहे है हैं। राजनैतिक दर्शन और विज्ञान दर्शन के अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद किया। मो. 09811550016
तरुण भटनागर
पहल में कई बार प्रकाशित। तरुण भटनागर ने कहानीकारों के समुदाय में एक अलग व्यक्तित्व निर्मित किया है। जिस पृष्ठभूमि से वे आते हैं उसकी भी लगातार खोज वे अपनी कहानियों में करते हैं और इस प्रकार पाठक को विश्सनीय और निराले लगते हैं। तरुण भटनागर के कहानी संग्रह और एक ताज़ा प्रकाशित उपन्यास 'लौटती नहीं जो हंसी' उपलब्ध हैं। मो. 09425191559
राजेन्द्र चंद्रकांत राय
सांगठनिक सक्रियताओं के साथ शुरुआती जीवन प्रारंभ किया। सांस्कृतिक चेतना के धनी चंद्रकांत  मूलत: कहानी लेखक ही थे पर बहुआयामी व्यक्तित्व होने के कारण कई दिशाओं में महत्वपूर्ण काम किया। पर्यावरण की दिशा में देहाती इलाकों में जल प्रबंधन को लेकर जाना माना काम है। इन दिनों ठगों के जीवन पर उपलब्ध दस्तावेजी सामग्रियों का अनुवाद कर रहे हैं जिसका प्रकाशन भी हो रहा है।
सुभाष गाताड़े
सुपरिचित लेखक और सक्रिय सांस्कृतिक विचारक। पहल में पूर्व प्रकाशित। मो. 09868940920
मनोज रूपड़ा
जाने माने कथाकार। छत्तीसगढ़ से आते हैं पर छत्तीसगढ़ छोड़ महाराष्ट्र में बसे। पहल में  पूर्व प्रकाशित। सिनेमा पर एक बड़ी क़िताब शीघ्र आधार प्रकाशन से आने वाली है।
बालकृष्ण कोबरा 'एतेश'
विश्व भाषाओं की दुर्लभ कविताओं के अनुवादों के लिये जाने माने और प्रतिष्ठित। मो. 09422811671
राजकुमार केसवानी
अंक 100 में विस्तृत परिचय उपलब्ध। मो. 09893122366, 09827055559


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