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अक्टूबर 2015

कार्ल सैंडबर्ग की कविताएं

अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद : बालकृष्ण काबरा 'एतेश'

देशांतर/अमेरिकी काव्य







शिकागो*
दुनिया के लिए सूअर मांस विक्रेता,
औजार निर्माता, गेहूँ का कोठारी,
रेल मार्ग का संचालक, राष्ट्र के मालभाड़े का प्रबंधक,
तेज, भारी, उपद्रवी,
विशाल कंधों वाला शहर:
वे कहते हैं मुझे कि तुम दुष्ट हो और मैं उन पर करता हूँ विश्वास की मैंने गैस लैंपों के नीचे तुम्हारी कामुक स्त्रियों को देखा है खेतिहर लड़कों को फुसलाते।
और वे कहते हैं मुझे कि तुम कुटिल हो और मैं कहता हूँ: हाँ, यह सच है कि मैंने देखा है गनमैन को हत्या करते और उसे स्वतंत्र घूमते फिर से हत्या के लिए।
और वे कहते हैं मुझे कि तुम निष्ठुर हो और मेरा जवाब है: मैंने देखे हैं स्त्रियों और बच्चों के चेहरों पर प्रचंड भूख के निशान।
और ऐसा जवाब देते हुए मैं एक बार फिर उनकी तरह देखता हूँ जो करते हैं मेरे शहर का उपहास, और बदले में करता हूँ मैं भी उनका उपहास:
आओ और दिखाओ मुझे कोई दूसरा शहर जो अपने तने हुए सिर के साथ गाता हो अपने जीवंत और सख्त और शक्तिशाली और चतुर होने का गौरव।
ढ़ेरों काम के लिए कठिन परिश्रम के बीच खिंचे चले आते हैं अभिशाप, फिर भी खड़ा है जीवंत यहाँ एक बड़ा साहसी प्रहारक छोटे शिथिल शहरों के समक्ष;
उस कुत्ते की तरह भयानक जिसकी जीभ लपलपाती कुछ कर जाने को, जंगली जानवर की तरह चालाक वह तैयार संघर्ष के लिए,
खुले सिर,
फावड़ा चलाते,
ध्वस्त करते,
योजना बनाते,
निर्माण करते, तोड़ते, फिर से बनाते,
चारों ओर धुआँ, उसका मुँह पूरा धूल सना, दिखते सफेद दाँत जब वह हँसता, नियति के भीषण बोझ तले हँसता मानो हँसता कोई युवा आदमी, हँसता उस तरह भी मानो हँसता कोई अनभिज्ञ योद्धा जो न हारा किसी युद्ध में, गर्व करता और हँसता कि उसकी कलाई में है जान और उसके सीने में लोगों का हृदय, हँसता वह!
खुले बदन, पसीने से तर किसी नौजवान की तेज, भारी, उपद्रवी हँसी हँसता, गर्व करता अपने हो जाने का सूअर माँस विक्रेता, औजार निर्माता, गेहूँ का कोठारी, रेल मार्ग का संचालक और राष्ट्र के मालभाड़े का प्रबंधक।

* शिकागो शहर की स्थापना वर्ष 1833 में हुई थी। कार्ल सैंडबर्ग ने वर्ष 1914 में जब यह कविता लिखी तब इस शहर को बने सत्तर वर्ष हुए थे। दुनिया के बड़े शहरों जैसे लंदन, पेरिस, टोक्यो आदि की तुलना में शिकागो काफी युवा और नया है। इसीलिए सैंडबर्ग ने शिकागो का वर्णन एक युवक के रूप में किया है।

रहस्यमय व्यक्ति
बंद-मुँह तुम बैठे पाँच हजार साल बिना निकाले एक धीमी आवाज भी।
आते गए जुलूस, प्रदर्शनकारियों ने पूछे सवाल, तुमने दिए जवाब अपनी भूरी आँखें बिना झपकाए, बंद होठों ने कभी न की बात।
युगों से बिल्ली की मानिंद झुके-बैठे तुम जो जानते हो उस पर नहीं की एक टर्र भी। मैं उनमें से एक हूँ जो जानता है वह सब जो तुम जानते हो और मैं रखता हूँ अपने सवाल:
मुझे पता है तुम्हारे जवाब का।

भूमिगत रेलमार्ग
साये की दीवारों के बीच जाते हुए
जहाँ कठोर कानून करते हैं सख्ती,
भूखी आवाजें करती हैं उपहास।
सफर करते थके लोग
विनम्रता में झुके कंधों के साथ,
परिश्रम में मिला देते हैं अपनी खिलखिलाहटें।

इस्पात की प्रार्थना
हे ईश्वर, मुझे ठीहे पर रखो।
हथौड़े से पीट-पीट मुझे बना दो सब्बल।
तोडऩे दो मुझे कमजोर पुरानी दीवारों को;
पुरानी नीवों को हिलाने दो, हटाने दो मुझे।

हे ईश्वर, मुझे ठीहे पर रखो।
हथौड़े से पीट-पीट मुझे बना दो नुकीली छड़ें।
ठेल दो मुझे गर्डरों में जो बराबर थामे रखता गगनचुंबी इमारत को।
लो तप्त-लाल कीलकें और जड़ दो मुझे मुख्य गर्डरों से।
हो जाने दो मुझे बड़ी कील जो थामकर रखती गगनचुंबी इमारत को नीली रातों में श्वेत सितारों तक।

लोग
पहाडों में घूमते हुए मैंने देखा नीला कोहरा और लाल चट्टान और रह गया अचंभित। समुद्री तट जहाँ निरंतर लहर ऊपर उठती करती अठखेलियाँ, मैं खड़ा रहा चुपचाप। सितारों तले मैदान में क्षितिज की घास पर झुके सप्तर्षि को देखते हुए मैं डूबा हुआ था विचारों में।
महान लोग, युद्ध और श्रम के प्रदर्शन, सैनिक और कामगार, बच्चों को गोद में लेती माताएँ- इन सभी का मैंने स्पर्श किया और उनके प्रभावी रोमांच को महसूस किया।
और फिर एक दिन मेरी सच्ची निगाह पड़ी गरीबों पर, धैर्यवान और परिश्रम करते; चट्टानों, लहरों और सितारों से अधिक धैर्यवान, असंख्य, रात के अंधकार की तरह धैर्यशील- सब-के-सब टूटे हुए, राष्ट्रों के दयनीय जीर्ण-शीर्ण।

बाड़
लेक फ्रंट पर अब स्टोन हाउस का काम पूरा हो गया है और कामगारों ने बाड़ बनाना शुरू कर दिया है।
बाड़ में इस्पाती नोकों वाली लोहे की सलाखें हैं जो इन पर गिरने वाले व्यक्ति में घुसकर छीन सकते हैं जीवन।
बाड़ के रूप में यह एक श्रेष्ठ रचना है और रोकेगी यह आमजनों और सभी आवारा व भूखे लोगों और खेलने के लिए जगह ढूँढ़ते सभी भटकते बच्चों को।
सलाखों और इस्पाती नोकों पर से जाने वालों को मिलेगा कुछ नहीं बस मृत्यु, दुख की बारिश और निर्जीव कल।

घर की याद
समुद्री चट्टानों के पास है हरी काई।
चीड़ की चट्टानों के पास लाल बेर।
मेरे पास है तुम्हारी यादें।

मुझे बताओ कि मेरी कमी तुम्हें खटकती है कैसे।
बताओ कि दिन हो जाता कितना लंबा, रेंगता धीरे-धीरे।

बताओ मुझे अपने दिल की कसक,
शूल सी चुभती लंबे दिनों की कसक।

मुझे पता है समय का खालीपन जैसे दुर्दिन में किसी भिखारी के टिन का कटोरा, खाली जैसे एक हाथ खो चुके किसी सैनिक की आस्तीन

मुझसे बात करो, बताओ मुझे...

मिल के दरवाजे

तुम कभी लौटते नहीं।
मैं करता हूँ गुड-बाई जब तुम्हें दरवाजों के भीतर जाते देखता हूँ,
आशाहीन खुले दरवाजे तुम्हें बुलाते और इंतजार करते
फिर तुम्हें काम में लेते - कितने पैसे रोजी पर?
निद्राग्रस्त आँखों और उँगलियों के लिए कितने पैसे?

मैं करता हूँ गुड-बाई क्योंकि मुझे पता है वे पकड़ कर रखते तुम्हारी कलाइयाँ,
अँधेरे में, खामोशी में, रोज-दर-रोज,
और निकालते सारा खून तुम्हारा बूँद-दर-बूँद,
और तुम युवा होने से पहले ही होते हो बूढ़े।

तुम कभी लौटते नहीं।

                                          कार्ल सैंडबर्ग (1878-1967)
अमेरिकी कवि, लेखक, संपादक, राजनीतिक संयोजक और रिपोर्टर। गेल्सबर्ग, इलिनॉय में 6 जनवरी, 1878 को जन्म। माता-पिता, ऑगस्ट और क्लारा जॉनसन, स्वीडिश अप्रवासी थे। पिता कम पढ़े-लिखे और रेलरोड वर्कर थे। विविध कारणों से उन्होंने परिवार का नामकरण 'जॉनसन' से 'सैंडबर्ग' कर दिया।
घुमंतू मजदूर
कार्ल सैंडबर्ग का परिवार बहुत गरीब था। कार्ल ने अपने परिवार की सहायता के लिए तेरह वर्ष की उम्र में स्कूल छोड़ दिया और डिश वाशिंग, बार्बरशॉप पोर्टर, मिल्क ट्रक ड्रायवर, खेतिहर मजदूर और ईंटें जोडऩे आदि जैसे काम किए। सत्रह की उम्र में घुमंतू मजदूर के रूप में उन्होंने पश्चिमी क्षेत्रों का भ्रमण किया। आयोवा, मि•ाोरी, कैन्जस, कोलेरेडो, नेबरेस्का आदि स्थानों में उनकी यात्रा और उनके कार्यों ने उनके लेखन और राजनीतिक दृष्टिकोण को प्रभावित किया। अपने इस भ्रमण के दौरान उन्होंने कई लोकगीत सीखे, जिनका प्रयोग उन्होंने वार्ता-कार्यक्रमों के दौरान किया। उन्होंने अमीर और गरीब के बीच की खाई को करीब से देखा। एक ऐसा विरोधाभास जिसने उनके भीतर पूँजीवाद के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया। अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है: ''इन यात्राओं ने मुझमें परिवर्तन ला दिया था... मेरा मन नई आशाओं से भर गया था... मुझे पता था कि आगे संघर्ष हैं, परंतु वे जो भी थे, उनको लेकर मुझमें भय नहीं था।''
वर्ष 1898 में जब स्पेनिश-अमेरिकन युद्ध छिड़ा, सैंडबर्ग ने पोर्टो रिको में आठ महीने के लिए अपनी स्वैच्छिक सेवा प्रदान की। वर्षांत में गृहनगर लौटने पर उन्होंने लोम्बार्ड कॉलेज में प्रवेश लिया और जीविका के लिए कॉल-फायरमैन के रूप में काम किया।
कॉलेज में
सैंडबर्ग के कॉलेज में बीते वर्षों ने उनकी साहित्यिक प्रतिभा और राजनीतिक विचारों को दिशा प्रदान की। वे इस दौरान 'पुअर राइटर्स क्लब' में शामिल हुए। यह क्लब एक अनौपचारिक साहित्यिक संगठन था, जहाँ इसके सदस्य कविताओं का पठन और उनकी समीक्षा करते थे। क्लब के संस्थापक और लोम्बार्ड के प्रोफेसर फिलिप ग्रीन राइट ने युवा और प्रतिभाशाली सैंडबर्ग को प्रोत्साहित किया। फिलिप एक प्रतिभासंपन्न अध्येता और राजनीतिक उदारवादी थे और उन्होंने सैंडबर्ग के प्रथम कविता संग्रह 'रेकलेस एक्सटैसी' के प्रकाशन का भुगतान भी किया। सैंडबर्ग लोम्बार्ड में चार वर्ष तक रहे, किंतु उन्हें कोई डिप्लोमा प्राप्त नहीं हुआ; तथापि बाद में उन्हें लोम्बार्ड और नॉक्स कॉलेज तथा नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से मानद उपाधियाँ प्राप्त हुईं। कॉलेज के बाद सैंडबर्ग मिलवॉकी चले गए, जहां उन्होंने विज्ञापन लेखन और न्यूजपेपर रिपोर्टर का काम किया। यहाँ उनकी मुलाकात फोटोग्राफर एडवर्ड स्टीकेन की बहन लिलियन स्टीकेन से हुई। सैंडबर्ग ने लिलियन से विवाह किया। जीवन के इस मोड़ पर उन्हें एक समाजवादी हमदर्द मिल गया था। तत्पश्चात सैंडबर्ग ने विस्कॉन्सिन में सोशल डेमोक्रेट पार्टी के लिए काम किया। 1910 से 1912 तक वे मिलवॉकी के पहले समाजवादी मेयर के सचिव रहे।
मुक्त छंद
इसके बाद सैंडबर्ग शिकागो आ गए, जहाँ उन्होंने शिकागो डेली न्यूज के संपादकीय लेखक का कार्य किया। इसी समय हेरिएट मुनरो ने कविता की पत्रिका 'पोयट्री' का प्रकाशन शुरू किया। इस पत्रिका में उन्होंने सैंडबर्ग की कविताओं को प्रकाशित किया और उन्हें मुक्त छंद में काव्य-लेखन के लिए प्रोत्साहित किया - सैंडबर्ग ने कॉलेज के दिनों में व्हिट्मैन की तरह मुक्त छंद में अपनी काव्य शैली विकसित की थी। मुनरो ने सैंडबर्ग की कविताओं की सीधी-सरल भाषा को पसंद किया। भाषाई दृष्टि से सैंडबर्ग अपने पूर्ववर्तियों से अलग थे। इस दौरान सैंडबर्ग को बेन हेक्ट, थियोडोर ड्राइजर, शेरवुड एंडरसन और एडगर ली मास्टर्स जैसे साहित्यकारों के साथ 'शिकागो साहित्यिक नवजागरण' के सदस्य के रूप में पहचान मिली। 'शिकागो पोयम्स, (1916)' और 'कार्नहस्कर्स, (1918) के साथ उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा कायम की, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1919 का पुलित्•ार पुरस्कार प्राप्त हुआ। उक्त संग्रहों के प्रकाशन के शीघ्र बाद सैंडबर्ग ने 'स्मोक एंड स्टील, था। इन तीन संग्रहों से सैंडबर्ग को उनकी मुक्त छंद कविताओं के लिए प्रसिद्धि मिली। इन संग्रहों में उन्होंने औद्योगिक अमेरिका का मार्मिक चित्रण किया।
लिंकन पर लेखन
तीसरे दशक में सैंडबर्ग ने अपने कुछ सबसे महत्वकांक्षी कार्य शुरू किए। बचपन से ही वे प्रेसीडेंट अब्राहम लिंकन के जीवन और कार्यों से प्रभावित थे। अत: उन्होंने तीस साल तक लिंकन से संबंधित सामग्री एकत्र की और फिर धीरे धीरे छह खंडों में उनकी प्रमाणिक जीवनी लिखी। इसी दशक में सैंडबर्ग लिखित अमेरिकी लोक कथाओं और गाथा काव्य का संग्रह 'द अमेरिकन सांगबैग' और बच्चों की पुस्तकों का प्रकाशन हुआ। 'द न्यू अमेरिकन सांगबैग' का प्रकाशन 1950 में हुआ। इन संग्रहों में उनकी अमेरिकी यात्राओं के दौरान संग्रहीत वह सामग्री है, जो उन्होंने वर्ष-दर-वर्ष यात्राओं में बैंजो या गिटार बजाते हुए, लोकगीत गाते हुए और कविताएँ सुनाते हुए एकत्र किया।
चौथे दशक में भी सैंडबर्ग के साहित्य में अमेरिका बोलता रहा। इस दौरान उनकी पुस्तकें थीं: 'मैरी लिंकन, वाइड एंड विडो (1932)', 'द पीपल, यस (1936)' और लिंकन की जीवनी का दूसरा भाग 'अब्राहम लिंकन : द वार ईयर्स (1939)'। उन्हें लिंकन की जीवनी के दूसरे भाग के लिए फिर से पुलित्ज़र पुरस्कार मिला। 1950 में 'कम्पलीट पोयम्स' के प्रकाशन पर 1951 में उन्हें तीसरी बार पुलित्ज़र सम्मान प्राप्त हुआ। उनके अंतिम कविता संग्रह हैं : 'हार्वेस्ट पोयम्स, 1910-1960 (1960)' और 'हनी एंड साल्ट (1963)'।
रचनात्मक वैशिष्ट्य
सैंडबर्ग की रचनाएँ उनके अपने गढ़े हुए निजी मुहावरों की विशिष्टता के साथ भावपूर्ण और गीतात्मक सौंदर्य लिए हुए हैं। इन रचनाओं में आम आदमी के प्रति प्रेम और करुणा है और इसीलिए उन्हें 'जनकवि' के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। सैंडबर्ग की रचनाओं की पहचान है- 'शैली की साधारणता, ईमानदारी और दृष्टि। अमेरिका के बढ़ते शहरीकरण के बीच उन्होंने औद्योगिक मध्य-पश्चिम के कामगार जनों की शक्ति और ऊर्जा का गान अपनी कविताओं में किया।'
22 जुलाई, 1967 को फ्लैट रॉक, नार्थ केरोलिन में कार्ल सैंडबर्ग का निधन हो गया।
                                                चुनिंदा कृतियाँ
काव्य :- एक्सटैसी (1904), शिकागो पोयम्स (1916), कार्नहस्कर्स (1918), स्मोक एंड स्टील (1920), सनबन्र्ट वेस्ट (1922), सेलेक्टेड पोयम्स (1926), गुड मार्निंग अमेरिका (1928), द पीपल, यस (1936), हार्वेस्ट पोयम्स (1950), कम्पलीट पोयम्स (1950), हनी एंड साल्ट (1963)।
गद्य :- अब्राहम लिंकन : द प्रेयरी ईयर्स (1926), अमेरिकन सांगबैन (1927), स्टीकेन द फोटोग्राफर (1929), मैरी लिंकन : वाइफ एंड विडो (1932), अब्राहम लिंकन : द वार ईयर्स (1939), द न्यू अमेरिकन सांगबैग (1958)।


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