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जुलाई २०१३

अन्ना कामीएन्सका की चार कविताएँ

अनुवाद और चयन : अशोक पाण्डे


अन्ना कामीएन्सका-एक ज़रूरी परिचयात्मक टीप


अन्ना कामीएन्स्का (12 अप्रैल 1920-10 मई 1986) नामी पोलिश कवयित्री, लेखिका, अनुवादक और साहित्य आलोचक थीं जिन्होंने बच्चों और किशोरों के लिए भी कई पुस्तकें लिखीं।
भाषा को लेकर उनके भीतर खासी सजगता थी और एक जगह उन्होंने कहा है - ''शब्दों से सबसे ज़्यादा भय उन्हें लगना चाहिए जो उनका भार पहचानते हैं - लेखक, कवि और वे जिनके लिए शब्द ही यथार्थ है।''

अन्ना कामीएन्स्का उन्नीसवीं सदी के पोलैंड के उन अनूठे समूह से ताल्लुक रखती हैं जिसमें से असाधारण कवि प्रस्फुटित हुए। मीरोन वियालोज्युस्की, यूलिया हार्तविग, ज्बिगनियू हेर्बेर्त, कारपोविक्ज़, ताद्यूश रूज़ेविच और विस्वावा शिम्बोस्र्का जैसे प्रमुख नामों के साथ अन्ना कामीएन्स्का इस सूची में विराजमान हैं। इनमें से हरेक कवि ने प्रचुर मात्रा में बेहद सशक्त रचनाकर्म किया। 1980 के नोबेल विजेता और अपने से थोड़ा बड़े कवि चेस्वाव मीवोश के साथ मिलकर इन सबने पोलिश कविता के लैंडस्केप को रूपांतरित कर दिया और उनके विश्व साहित्य के परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव डाला।
''मेरी साहित्यिक पीढ़ी ने आलोचकों की धूमधाम के साथ कविता में प्रवेश नहीं किया'', अपनी एक किताब के आमुख में अन्ना ने लिखा था, ''हम फायरिंग स्क्वाडों और फूटते बमों के दरम्यान लिखना सीख रहे थे।'' ''इन अनुभवों ने उनकी कविता को मनुष्य जाति की एक अपरिहार्य त्रासद परिस्थिति दर्ज करने का ज़रिया बनाया अलबत्ता उन्होंने इसे बिना भावुक हुए एक तनिक ध्वंसकारी ह्यूमर के साथ अभिव्यक्त किया।'' इन ''संशयी मानवतावादियों'' ने कलात्मक रचना के नए अभ्युदय के लिए अलग-अलग उपकरणों का प्रयाग किया।
अपनी पीढ़ी के अस्तित्ववादी और नैतिक सरोकारों को साझा करने के अलावा कामीएन्स्का ने भाषा और खासतौर पर कविता के रेटरिक पर अपना अविश्वास बनाए रखा। उनकी वाणी संयत और सज्जाहीन है, और उनका डिक्शन किसी सन्यासी जैसा। कई मायनों में उनकी कविता ''प्रति-काव्यात्मक'' कविता है। ढिठाई के साथ गैर-रूमानी किसी भी तरह की घोषणाओं से सुदूर।
उनकी कविता और लेखन का अद्वितीय आयाम है विडंबनात्मक दूरी से का एक सैद्धांतिक नकार। जहां ज़्यादातर समकालीन रचनाकार विडम्बना और उपमा को अपने सबसे प्रमुख हथियार के बतौर इस्तेमाल करते हैं, कामीएन्स्का की कोशिश रहती है बिना किसी तरह का सुरक्षात्मक मुखौटा पहने सीधी ज़बान में अपनी बात कहना। जान बूझ कर अपनाई गयी इस भाषाई सादगी में से वे अकेलेपन, अनिश्चितता और मानव जीवन की क्षणिकता की समस्याओं को संबोधित करती हैं। मृत्यु, प्रेम की लालसा और अजाने का सामना करने को वे सुस्पष्ट और सही-सही शब्दों की खोज करती हैं। ''मैं समझने के लिए लिखती हूँ, न कि अपने को अभिव्यक्त करने को,'' वे घोषित करती है। समझने की उनकी खोज सहानुभूति और अपने आप से सवाल पूछने में चिन्हित होती है। खोज और रूपान्तरण की इस प्रक्रिया में वे पाठक को अपने साथ आने का आमंत्रण देती हैं।
* * *
उनकी नोटबुक्स में इसी रूपान्तरण के धार्मिक अनुभव दर्ज हैं। फॉर्म के लिहाज़ से वे सूक्तियों से सबसे नज़दीक हैं, जिस वजह से उनके वक्तव्य और भी अधिक अचरजकारी लगते हैं। जनवरी 1970 की उनकी एक प्रविष्टि अविश्वसनीयता के साथ रोशनी से उनके साक्षात्कार का वर्णन करती है: ''वह विराट प्रकाश। मुझे नहीं पता था मुझे कभी ऐसा अनुभव होगा। आंतरिक आपातकाल और प्रतीक्षा की एक अवस्था... यह चमक न तो तर्क को नकारती है न विवेक को। उसका बस अस्तित्व भर है। संसार के लिए, हरेक चीज़ के लिए खुली हुई एक काव्यात्मक संवेदना - विराट और क्षुद्र दोनों के लिए।'' कुछ माह बाद वे दर्ज करती हैं : ''मैं मृतकों की तलाश में निकली थी और मुझे ईश्वर मिला।'' और संभवत: इससे भी •यादा अचरज के साथ वे कहती हैं, ''मेरे पास इस रोशनी का कुल मुट्ठी भर है। यह मेरी उँगलियों से होकर बहती है। और धुंधली नहीं पड़ती।''
उनकी कविताएं उनकी नैतिक और अध्यात्मिक व्यस्तताओं की एक नई दिशा को अधिक अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिविम्बित करती हैं। वे साहस और आत्म-बलिदान का उत्सव हैं। प्रार्थना और ध्यान के फॉर्म में लिखी गईं उनकी कवितायें समय के अपरिहार्य रूप से गुजरते जाने की खुली आँखों से की गयी स्वीकृतियाँ हैं। मनुष्य की कमजोरियों और विरोधाभासों से ताउम्र जूझती रहीं अन्ना कामीएन्स्का की नोटबुक्स बीसवीं सदी के महान दस्तावेजों के तौर पर देखी जाती हैं।





अन्ना कामीएन्सका की चार कविताएँ
सड़कों के मुख/मैं खड़ी थी/निरर्थक/एक हाथ

सड़कों के मुख

खामोश हैं सड़कों के मुख, अंधी पड़ जाती हैं खिड़कियाँ,
बगैर आवाज़ किये कांपती हैं रास्तों की ठंडी नाडिय़ाँ,
ओलों से भरपूर सीसा बादलों
से भरा आसमान टंगा हुआ है गीले फुटपाथ के आईने में
अस्पताल में मर रही है मेरी माँ।
जलती सफेद चादरों में से
वह उठाती है अपनी हथेली - और नीचे झूल जाता है उस का बाजू
शादी की उसकी अंगूठी जो मुझे चुभा करती थी
जब वह नहलाया करती थी मुझे
वह फिसल जाती है उसकी पतली पड़ गयी उंगली से।
शीत की नमी पीते हैं दरख्त।
कोयले से लदा ठेला खींचता घोड़ा अपना सिर झुकाता है।
एक रेकॉर्ड पर घूम रहे हैं बाख और मोत्सार्ट
जैसे धरती घूमती है सूरज के गिर्द।
यहाँ, एक अस्पताल में मर रही है मेरी माँ
मेरी मामा।

मैं खड़ी थी

मैं खड़ी थी अपनी बहन के साथ कब्र के नज़दीक
और हम ज़रूरी चीज़ें की बाबत बातें कर रहे थे।
बेटा ठीकठाक कर रहा है स्कूल में। सबसे छोटा अभी से बकबक करने लगा है।
अगर आप लोगों के प्रति नीचता न करें, वे भले बने रहते हैं आपके वास्ते।
अपार्टमेंट को नया नया रंगा गया है। हमने एक मेज़ और कुछ कुर्सियां खरीदी हैं।
कभी कभार कोई पड़ोसी ठहरकर कहता है ''बढिय़ा दीखता है आपका घर।''
माँ का इस कदर पसंदीदा पौधा लद गया है फूलों से।
मैं फूल लाना चाहती थी पर मुझे डर था वे मुरझा जाएंगे।
हम बातें करते रहते हैं और हवा, पेड़, पत्थर और धरती सारे के सारे सुनते रहते हैं।
और जिस के वास्ते हम लाए थे ये खबरें, वह नहीं सुन सकती।
हो सकता है वह हमारे पीछे खड़ी जिंदगी के पचड़ों पर मुस्करा रही है
और फुसफुसा रही है ''मुझे मालूम है प्यारी बच्चियों, अब और कुछ बताने की ज़रूरत नहीं मुझे।''

निरर्थक

बचपन से ही यह असबाब लिए फिर रही हूँ मैं :
काले खोल में पिताजी का वायोलिन,
लकड़ी की एक प्लेट जिस पर यह शब्द उकेरे गए हैं —
दोस्तों के साथ रोटी तोडऩा सबसे अच्छा होता है।
एक संकरी सड़क
जिस पर एक गुजरती गाड़ी और घोड़े की परछाइयाँ हैं
फफूंद लगी एक दीवार,
बच्चे का फोल्डिंग पलंग,
कबूतरों के चित्र वाला एक गुलदस्ता,
चीज़ें
जो जीवन से अधिक पाएदार,
भुस भरी हुई एक चिडिय़ा,
जर्जर पड़ चुकी अलमारी के ऊपर
उफ! और सीढिय़ों और दरवाज़ों का
यह विशाल पिरामिड।
आसान नहीं इस सब को
लादे लिए चलना आखीर तलक।
मैं एक भी चीज़ से छुटकारा नहीं पाऊँगी।
जब तक कि मेरी बुद्धिमान माँ
कहीं नहीं से कहीं नहीं को आती है
और मुझसे कहती है
''छोड़ दो, प्यारी बच्ची,
इस सब का कोई मतलब नहीं है।''

एक हाथ

इस चीज़ को एक हाथ कहा जाता है।
आँखों के नज़दीक लाने पर यह चीज़
संसार को ढँक देती है।
सूरज, एक घोड़े, एक घर,
एक बादल, एक मक्खी से बड़ी यह चीज़?
उँगलियों से बनी यह चीज़।
सुन्दर गुलाबी सतह वाली यह चीज़।
यह खुद मैं हूँ।
यह दबोचती है, थमती है, खींचती है, फाड़ती है
और इससे होने वाले कामों की गिनती नहीं हो सकती।
यह सिर्फ सुन्दर नहीं है।
यह सेनाओं का नेतृत्व करती है,
मिट्टी पर मेहनत करती है,
हत्या करती है एक कुल्हाड़ी से,
फैलाती है स्त्रियों की जांघें,
और इससे होने वाले कामों की गिनती नहीं हो सकती।
इसकी पांच उंगलियां - पांच अपराध।
इसकी पांच उंगलियां - एक खूबी।s


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