दोस्त के लिए
अगर हम होते हवाई द्वीप के वासी तो एक-दूसरे से अपने नाम बदल लेते सीथियन होते तो भरे जाम में खड़ा करते एक तीर कलाइयों में एकसाथ घोंपकर आधा-आधा पी लेते
झूठ और कपट से भरे इस दौर में दोस्ती भी अगर दंतमंजन के विज्ञापनों जैसी ही करनी है तो बेहतर होगा, यह बात यहीं खत्म हो जाय
नाम का नहीं, खून का नहीं पर एक तीखे तीर का साझा हम अब भी कर सकते हैं सोच में चुभा हुआ सच का तीर जो सोते-जागते कभी चैन न लेने दे
मैं कहीं भी रहूं तुम्हारे होने का खौफ मुझे नीचे जाने से रोक दे तुम उड़ो तो इस यकीन के साथ कि जमीन पर छाया की तरह मैं भी तुम्हारे साथ चल रहा हूं
कुछ न होगा तो भी कुछ होगा सूरज डूब जाएगा तो कुछ ही देर में चांद निकल आएगा
और नहीं हुआ चांद तो आसमान में तारे होंगे अपनी दूधिया रोशनी बिखेरते हुए
और रात अंधियारी हुई बादलों भरी तो भी हाथ-पैर की उंगलियों से टटोलते हुए धीरे-धीरे हम रास्ता तलाश लेंगे
और टटोलने को कुछ न हुआ आसपास तो आवाजों से एक-दूसरे की थाह लेते एक ही दिशा में हम बढ़ते जाएंगे
और आवाज देने या सुनने वाला कोई न हुआ तो अपने मन के मद्धिम उजास में चलेंगे जो वापस फिर-फिर हमें राह पर लाएगा
और चलते-चलते जब इतने थक चुके होंगे कि रास्ता रस्सी की तरह खुद को लपेटता दिखेगा- आगे बढऩा भी पीछे हटने जैसा हो जाएगा...
...तब कोई याद हमारे भीतर से उमड़ती हुई आएगी और खोई खमोशियों में गुनगुनाती हुई उंगली पकड़कर हमें मंजिल तक पहुंचा जाएगी
क्या किया क्या किया?
थोड़ा एनिमल फार्म पढ़ा थोड़ा हैरी पॉटर कुछ पार्टियां अटेंड कीं बहुत सारा आईपीएल देखा
एक दिन अन्ना हजारे के अनशन में गया पूरे दिन भूखा रहने की नीयत से लेकिन रात में आंदोलन खत्म हो गया तो खा लिया-बहुत सारा
एक गोष्ठी में सोशलिज्म पर बोलने गया पता चला, सूफिज्म पर बोलना था सब बोल रहे थे, मैं भी बोला फिर एक गोष्ठी में ज्ञान पर बोला और इस पर कि इतने बड़े बाजार में ज्ञान के कंज्यूमर कैसे पहचाने जाएं
उसी दिन ज्ञान गर्व से मुफ्त की दारू पी और उससे बीस दिन पहले भी कामयाब रिश्तेदारों के बीच नाचते-गाते हुए, खूब चहक कर पी
दारू वाली दोनों रातों के बीच एक सीधी-सादी सूफियाना रात में घर के पीछे हल्ला करने वालों पर सनक चढ़ी जबरन पंगा लेकर पूरी बरात से झगड़ा किया रात बारह बजे दरांती वाला चाकू लेकर मां-बहन की गालियां देता दौड़ा किसी को मार नहीं पाया, पकड़ा गया
बाद में कई दिन भीतर ही भीतर घुलता रहा जैसे जिंदगी अभी खत्म होने वाली है इस बीच, इसके आगे और इसके पीछे जागते हुए, नींद में और सपने में भी नौकरी की... नौकरी की... नौकरी की
लगातार सहज और सजग रहते हुए पूरी बुद्धिमत्ता और चतुराई के साथ कि जैसे इस पतले रास्ते पर पांव जरा भी हिला तो नीचे कोई ठौर नहीं
एक दिन मिजाज ठीक देख बेटे ने कहा, पापा आप कभी-कभी पागल जैसे लगते हो मैंने उसे डांट दिया मगर नींद से पहले देर तक सोचता रहा- इतना बड़ा तो कर्ज हो गया है कहीं ऐसा सचमुच हो गया तो क्या होगा।
स्टेशन पर रात रात नहीं नींद नहीं सपने भी नहीं न जाने कब खत्म हुआ इंतजार ठंडी बेंच पर बैठे अकेले यात्री के लिए एक सूचना महोदय जिस ट्रेन का इंतजार आप कर रहे हैं वह रास्ता बदलकर कहीं और जा चुकी है
हो जाता है, कभी-कभी ऐसा हो जाता है श्रीमान तकलीफ की तो इसमें कोई बात नहीं यहां तो ऐसा भी होता है कि घंटों-घंटों राह देखने के बाद आंख लग जाती है ठीक उसी व$क्त जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंचने वाली होती है
सीटी की डूबती आवाज़ के साथ एक अद्भुत झरने का स्वप्न टूटता है और आप गाड़ी का आखिरी डिब्बा सिग्नल पार करते देखते हैं
सोच कर देखिए ज़रा ज्यादा दुखदायी यह रतजगा है या कई रात जगाने वाली पांच मिनट की वह नींद
और वह भी छोडि़ए, इसका क्या करें कि ट्रेनें ही ट्रेनें, वक्त ही वक्त मगर न जाने को कोई जगह है न रुकने की कोई वजह
ठंडी बेंच पर बैठे अकेले यात्री के लिए एक सूचना ट्रेनें इस तरफ या तो आती नहीं, या आती भी हैं तो करीब से पटरी बदलकर कहीं और चली जाती हैं
या आप का इंतजार वे ठीक तब करती हैं जब आप नींद में होते हैं या सिर्फ इतना कि आपके लिए वे बनी नहीं होतीं फकत उनका रास्ता आपके रास्ते को काटता हुआ गुजर रहा होता है
धीरे चलो धीरे चलो इसलिए नहीं कि बाकी सभी तेज-तेज चल रहे हैं और धीरे चलकर तुम सबसे अलग दिखोगे इसलिए तो और भी नहीं कि भागते-भागते थक गए हो और थोड़ा सुस्ता लेना चाहते हो धीरे चलो इसलिए कि धीरे चलकर ही काम की जगहों पर पहुंच पाओगे कई चीजें, कई जगहें तेज चलने पर दिखतीं ही नहीं बहुत सारी मंजिलें पार कर जाने के बाद लगता है कि जहां पहुंचना था, वह कहीं पीछे छूट चुका है
धीरे चलो कि अभी तो यह तेज चलने से ज्यादा मुश्किल है जरा सा कदम रोकते ही लुढ़क जाने जैसा एहसास होता है पैरों तले कुचल जाना, अंधेरे में खो जाना, गुमनामी में सो जाना इन सबमें उससे बुरा क्या है, जहां तेज चलकर तुम पहुंचने वाले हो?
रात में रेल रात में रेल चलती है रेल में रात चलती है खिड़की की छड़ें पकड़कर भीतर उतर आता है रात में चलता हुआ चांद पटरियों पर पहियों सा माथे पर खट-खट बजता है
छिटकी हुई सघन चांदनी रेल का रस्ता रोके खड़ी है रुकी हुई रेल सीटी देकर धीरे-धीरे सरकती है आधासीसी के दर्द की तरह हवा पेड़ों के सलेटी सिरों पर ऐंठती हुई गोल-गोल घूमती है
आधी से ज्यादा जा चुकी रात में सोए पड़े हैं ट्रेन भर लोग लेकिन कहीं कुछ दुविधा है- ड्राइवर से फोन पर निंदासी आवाज में झुरझुरी लेता सा बोलता है गार्ड- 'शायद कोई गाड़ी से उतर गया है... अभी-अभी मैंने किसी को नीचे की तरफ जाते देखा है...'
नम और शांत रात में उड़ता हुआ रात का एक पंछी नीचे की तरफ देखता है वहां खेत में रुके हुए पानी के किनारे चुपचाप बैठा कोई रो रहा है पानी में पिघले हुए चांद को निहारता बुदबुदाता हुआ सोना... सोना...
और लो, यह क्या हुआ? सात समुंदर पार भरी दोपहरी में लेनोवो का मास्टर सर्वर बैठ गया।
घंटे भर बेवजह सिस्टम पर बैठी जम्हाइयां ले रही सोना सान्याल बॉयफ्रेंड को फोन मिलाती हैं- 'पीक आवर में सर्वर बैठ गया, अमेरिका का भगवान ही मालिक है'
दू..र गुम होती लाल बत्तियां फोन पर ही हैडलाइट को बोलती हैं- 'बताओ... ऐसे वीराने में ट्रेन से उतर गया, इस इंडिया का तो भगवान ही मालिक है'
क्या कर सकता हूं सबसे अच्छी धुनें बजाई नहीं जा सकीं जो हाथ उन्हें बजा सकते थे उनका किसी साज़ तक पहुंचना मुमकिन नहीं हुआ
सबसे ज्यादा समझदारी की बातें गली-चौबारे से आगे पहुंचने से रह गईं उन्हें कह सकने वाले ज़हीन लोग अक्षर पहचाने बिना ही दुनिया से रुख़सत हो गए
किसी को यह बात मेरी निजी खीज से निकली हुई लगती है तो लगती रहे- हक़ीक़त मगर यही है कि जिन चीजों को हम सबसे अच्छी मानते हैं उनमें ज्यादातर पर औसतपने की छाप है
अन्यायी समय के ताप से असमय मुरझा गए सबसे शानदार लोग अगर समय को कभी दिखे ही नहीं तो इसके लिए मैं क्या कर सकता हूं
औसत से भी हल्के लोग इस दुनिया को चला रहे हैं और अपने से ज्यादा हल्के लोगों को अपनी विरासत सौंप कर जा रहे हैं
अतीत के किसी स्वर्णयुग में मेरा यकीन नहीं है दिनोंदिन यह दुनिया पहले से ज्यादा बुरी हो रही है- ऐसा भी मैं नहीं कहता लेकिन खतरनाक हर रोज यह पहले से ज्यादा हो रही है इतना डंके की चोट पर कहता हूं
बंदर के हाथ उस्तरा पुरानी बात हुई मामला अब एटमी कमांड सिस्टम पर चिंपांजी जाति के जीवों का कब्जा हो जाने का है इतने पर भी खतरा किसी को दिखाई नहीं देता तो इसके लिए मैं क्या कर सकता हूं |